इंडिया रिपोर्टर लाइव
मुंबई 25 अक्टूबर 2023। कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मराठा आरक्षण लागू करने के लिए बुधवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को दी गई 40 दिन की समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर विरोध शुरू किया है। मराठा आरक्षण की मांग को राज्य में पुन: सुर्खियों में आए 40 वर्षीय जरांगे ने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरवाली सराटी में अपना आंदोलन शुरू किया।
सीएम ने नहीं लिया फैसला
अनशन पर बैठने से पहले जरांगे ने पत्रकारों से कहा, ‘मराठा आरक्षण पर फैसले को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुझसे 40 दिन इंतजार करने को कहा था, लेकिन उन्होंने फैसला नहीं किया इसलिए मैंने अपने गांव में अनशन करने का फैसला किया है।’
सितंबर में भी किया था भूख हड़ताल
जरांगे ने इस साल सितंबर में भी इस गांव में भूख हड़ताल की थी और मांग की थी कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए। उन्होंने 14 सितंबर को भूख हड़ताल समाप्त करते हुए सरकार को आरक्षण लागू करने के लिए 24 अक्टूबर तक 40 दिन का समय दिया था।
सरकार जानबूझकर कर रही गुमराह
उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया था कि राज्य भर में मराठा समुदाय के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए पुलिस मामले दो दिन के भीतर वापस ले लिए जाएंगे। यह आश्वासन दिए हुए 41 दिन बीत चुके हैं, लेकिन एक भी मामला वापस नहीं लिया गया है। इसका मतलब है कि सरकार मराठा समुदाय को जानबूझकर गुमराह कर रही है।’
हम कुनबी प्रमाणपत्र के लिए…
जरांगे ने कहा, ‘माली समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के रूप में मान्यता दी गई है क्योंकि इसका प्राथमिक कार्य कृषि माना जाता है। यही बात विदर्भ के मराठा समुदाय पर भी लागू होती है, जिन्हें उनकी कृषि गतिविधियों के कारण कुनबी के रूप में पहचाना जाता था और अब वे आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। अगर ऐसा हो सकता है तो हम कुनबी प्रमाणपत्र के लिए पात्र क्यों नहीं हैं, जबकि हमारा प्राथमिक व्यवसाय खेती है?’
मैं खुद एक मराठा परिवार से…
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने मंगलवार को दशहरे पर एक रैली के दौरान कहा था, ‘किसी से अन्याय किए बिना और किसी का आरक्षण वापस लिए बिना, यह सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करेगी जो स्थायी होगा।’
शिंदे अपने भाषण के बीच में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने झुके और उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का संकल्प लिया। शिंदे ने कहा कि चूंकि वह स्वयं एक साधारण मराठा परिवार से हैं, इसलिए वह उनका दुख एवं दर्द समझते हैं।