बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने की वैधता जांचेगा सुप्रीम कोर्ट, कई कानूनी सवालों पर निर्णय भी लेगा

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नई दिल्ली 23 जनवरी 2024। सुप्रीम कोर्ट सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने वाली केंद्र सरकार की अधिसूचना की वैधता जांचने पर सहमत हो गया है। केंद्र ने 2021 की इस अधिसूचना में बीएसएफ के तलाशी लेने, जब्ती व गिरफ्तारी करने के मौजूदा 15 किलोमीटर के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाकर 50 किलोमीटर करने का फैसला किया था। सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने 11 अक्तूबर 2021 की अधिसूचना के खिलाफ पंजाब सरकार के मूल मुकदमे में उठे कानूनी मुद्दों को नोट किया। सुनवाई की शुरुआत में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कानून व्यवस्था पर स्थानीय पुलिस और राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र बरकरार रहेगा। बीएसएफ सिर्फ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से निपटेगा। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने केंद्र व पंजाब सरकार से मुद्दों (कानूनी सवालों) को आपस में बदलने को कहा था ताकि अगली तारीख पर उन्हें निपटाया जा सके।

चार हफ्ते बाद होगी सुनवाई
पीठ ने पंजाब सरकार के मुकदमे में अतिरिक्त लिखित दलीलें दाखिल करने के लिए केंद्र को दो और सप्ताह का समय दिया। इसके बाद राज्य सरकार को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया। इस मामले में अंतिम सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

इन कानूनी सवालों पर होगा सुप्रीम विचार

  • पहला प्रश्न यह है कि क्या बीएसएफ अधिनियम 1968 की धारा 139(1) के अंतर्गत केंद्र सरकार को पंजाब राज्य में बीएसएफ का दायरा बढ़ाने की शक्ति है।
  • दूसरा, क्या बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 50 किमी तक बढ़ाना बीएसएफ अधिनियम के तहत सीमाओं से सटे क्षेत्रों की स्थानीय सीमा से परे है।
  • तीसरा सवाल है, क्या बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत भारत की सीमाओं से सटे क्षेत्रों की स्थानीय सीमा निर्धारित करने के उद्देश्य से सभी राज्यों के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
  • पीठ उन कारकों की भी जांच करेगी जिन्हें बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 (1) के तहत भारत की सीमाओं से सटे क्षेत्रों की स्थानीय सीमाओं का दायरा निर्धारित करने में ध्यान में रखा जाना है।
  • क्या 11 अक्तूबर 2021 की अधिसूचना सांविधानिक योजना के तहत राज्य के विधायी क्षेत्र में असांविधानिक हस्तक्षेप है।
  • क्या अधिसूचना की सांविधानिकता को संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मूल मुकदमे में चुनौती दी जा सकती है?

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