इंडिया रिपोर्टर लाइव
बिलासपुर 21 मई 2020। कई राज्यों द्वारा श्रम कानुनों को निलंबित करने पर कड़ी आपत्ती करते हुए सबंधित राज्य के मुख्यमंत्रियों एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र को जिला कलेक्टर बिलासपुर के माध्यम दिए।
डॉ. दीपक जायसवाल, राष्ट्रीय संयोजक कंसेन्ट ने 20-05-2020 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए पत्र के अनुसार विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कल्याण के समस्त कानुनो को तीन वर्ष के लिए स्थिगित करने की कार्यवाही करने का निर्णय लिया है। हमारे संगठनों के द्वारा संबंधि राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आपत्तियां जताते हुए लिए गए निर्णय को वापस लेने की प्रार्थना की गई है परंतु राज्य सरकारों के द्वारा श्रमिकों को गुलाम बनाने संबंधित कानुनों को वापिस नही लाने से दिनांक 20-05-2020 से तीन स्टेपों पर आंदोलन लेने का निर्णय लिया है। जिसके प्रतिलिपी संलग्र है। आज दिनांक 20-05-2020 को देश के समस्त जिला व तहशीलों में राज्य सरकार और आपका ध्यान आकर्षन कराने सांकेतिक धरना और ज्ञापन सौंपा गया है। राज्य सरकारों को भेजे गए पत्रों की कापी भी संलग्न है।
कंसेन्ट एक गैर राजनैतिक श्रमिक संगठनों का महागठबंधन है जो राष्ट्रहित में और उद्योग में गुण दोष के आधार पर सरकार को निरंतर सहयोग करते आया है और देश के बहुसंख्यक श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करता आया है भारत सरकार श्रम कानुनों का कोडीफिकेशन कर रही है ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का उक्त कृत असंवैधानिक है जो हमारे संगठनों को मान्य नहीं है। देशे ऐसे ही आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधियों को पुन: पटरियों में लाने हेतु हमारे श्रमिक कंधों से कंधा मिलाकर उद्योगपतियों का सहयोग करने तैयार परंतु गुलामी कर शर्तों पर नहीं अत: प्रार्थना है कि ऐसे संकट काल में कोई बड़ा आंदोलन हो केन्द्र सरकार तत्काल हस्ताक्षेप करें एवं राज्य सरकारों द्वारा जारी आदेशों को निरस्त करें ऐसा नहीं होने पर संगठन राष्ट्रव्यापी आंदोलन को और तीव्र करने मजबूर होगा वर्तमान परिस्थितियों में यह टकराव उचित नहीं है।
श्रम कल्याण से संबंधित श्रम कानुन नियम को स्थगित करने मुख्मंत्रियों को लिखा पत्र
डॉ. दीपक जायसवाल, राष्ट्रीय संयोजक कंसेन्ट ने 20-05-2020 को मध्यप्रदेश,गुजरात,गोवा,राजिस्थान, पंजाब, उत्तरप्रदेश, ओडिशा के मुख्यमंत्री को लिखे गए के अनुसार श्री जायसवाल ने कहा है कि श्रम एवं पुंजी एक सिक्के के दो पहलू हैं। किसी भी राज्य का औद्योगिक विकास जब दोनो पहिए एक साथ काम करें तभी संभव है करोना वायरस से उत्पन्न स्थिति के कारण औद्योगिक एवं व्यापारिक गतिविधीयों को पटरी पर लाने के लिए हमारे श्रमिक एवं कर्मचारी भाई उद्योगपतियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने के लिए तैयार है। जब मजदुर बेरोजारी कुपोषण एवं बिमारी से ग्र्रसित होकर पलायन कर रहे हैं। और अपने जीवन बचाने हेतु संघर्ष कर रहे है ऐसे समय में सारे श्रम कानुनों को स्थगीत किया जाना नैतिक रूप से एवं संवैधानिक रूप से उचित नही हैं। केन्द्र सरकार भी श्रम कानुनो का सरलीकरण एवं 44 कानुनों को 4 कानुन में कोडीफिकेशन कर रही है और यह विषय राज्य एवं केन्द्र दोनो के अंतर्गत आता है जिससे देश में संगी ढांचा भी चर्मरा जाएगा। अधिकांश उद्योग एवं पूंजीपतियों ने इस संकट की घड़ी में मजदूरों एवं उनके परिवारों को जीवित रखने हेतु 29 मार्च को लाकडाउन मजदूरी देने निर्देश राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकारों ने दिया था।