इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 12 अगस्त 2024। एनसीपी-एससीपी के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कई मुद्दों पर पत्रकारों से बात की। उन्होंने मराठा आरक्षण पर कहा कि सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात कर एक सर्वदलीय बैठक बुलाने को कहा है। साथ ही उन्होंने पड़ोसी देश बांग्लादेश के बिगड़ते हालात पर भी बात की। उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस को एक धर्मनिरपेक्ष नेता बताया।
पड़ोसी देश में विभिन्न समुदायों के बीच कोई दरार न हो
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरदचंद्र पवार (एनसीपीएससीपी) के प्रमुख ने कहा कि मोहम्मद यूनुस एक धर्मनिरपेक्ष नेता हैं और वह सुनिश्चित करेंगे कि देश में विभिन्न समुदायों के बीच कोई दरार न हो।
क्या है बांग्लादेश हिंसा का मामला?
बांग्लादेश में 1971 में देश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रतता सेनानियों के लिए तय किए आरक्षण के खिलाफ जुलाई में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गए। हालात इतने बदतर हो गए कि शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा। नई अंतरिम सरकार के गठन होने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। 84 वर्षीय अर्थशास्त्री यूनुस ने बीते गुरुवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली।
ऐसा लग रहा वहां के हालात सुधरेंगे…
पुणे में पत्रकारों से पवार ने कहा, ‘मेरी जानकारी के मुताबिक वह (यूनुस) धर्मनिरपेक्ष हैं और वह कभी भी विभिन्न समुदायों और विभिन्न भाषाई समूहों के बीच दरार पैदा करने के लिए काम नहीं करेंगे। बांग्लादेश के लिए संतुलित रुख अपनाने की जरूरत है और ऐसा लग रहा है कि वहां के हालात सुधरेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि यूनुस कई वर्ष पहले पुणे आए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार बांग्लादेश को वहां की स्थिति में सुधार करने में मदद करने के लिए सहयोग देगी।
मराठा आरक्षण को लेकर सीएम शिंदे से मुलाकात की
शरद पवार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कहा, ‘हाल ही में मैंने मराठा आरक्षण मुद्दे पर चर्चा करने के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात की। मैंने उनसे कहा कि उन्हें आरक्षण के मुद्दे पर एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। हम भी मौजूद रहेंगे, हमारा रुख सहयोगात्मक होगा। उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे यकीन है कि सीएम सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे। ओबीसी के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए और हमें सर्वसम्मति से इस मुद्दे पर समाधान खोजने का प्रयास करना चाहिए। केंद्र सरकार को 50 फीसदी से ऊपर आरक्षण देने का अधिकार है। इसलिए अगर वह इस मुद्दे की ओर सकारात्मक कदम उठाती है तो हम उनके साथ सहयोग करेंगे।