इंडिया रिपोर्टर लाइव
बीजिंग 11 जनवरी 2025। हुबेई प्रांत के यिचांग शहर के पास थ्री गॉर्जेस थ्री बांध के निर्माण के बाद चीन अब पृथ्वी के लिए एक और विनाशकारी संकट खड़ा करने जा रहा है। चीन अब तिब्बत में यारलुंग सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी पर थ्री गॉर्जेस से बड़ी एक विशाल जल विद्युत परियोजना को मंजूरी देकर पृथ्वी के लिए एक और विनाशकारी कदम उठाने जा रहा है। यह जानकारी नासा की एक रिपोर्ट में दी गई है। थ्री गॉर्जेस बांध के निर्माण और संचालन के कारण पृथ्वी के घूर्णन में बदलाव हुआ है। इसने इस गति को 0.06 माइक्रोसेकंड तक धीमा कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार पृथ्वी की प्रणाली के भीतर द्रव्यमान का पुनर्वितरण पृथ्वी के घूर्णन पर प्रभाव पैदा करेगा। जैसे-जैसे थ्री गॉर्जेस डैम की सीमाओं के भीतर पानी जमा होता है यह अपने द्रव्यमान को पुनर्वितरित करता है।
नासा के बेंजामिन फोंग चाओ के अनुसार इसका बहुत ही कम प्रभाव एक दिन में 0.06 माइक्रोसेकंड की देरी से होता है, लेकिन पृथ्वी की घूर्णन गति को बदलने के लिए यह पर्याप्त है। थ्री गॉर्जेस डैम पृथ्वी पर मानव निर्मित सबसे बड़ी संरचनाओं में से एक है। यह इतना विशाल है कि इसे बाहरी अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है।
नासा ने थ्री गॉर्जेस को बताया है बड़ा खतरा
यह यांग्त्जी नदी से 185 मीटर (607 फीट) ऊंचा है और 2 किलोमीटर (1.3 मील) से ज्यादा लंबा है। इसका विशाल आकार 40 अरब घन मीटर पानी को समाहित कर सकता है। पानी की यह विशाल मात्रा पर्यावरणीय प्रभाव डालते हुए पृथ्वी के घूर्णन को बदल रही है। नासा ने चीन में मौजूद अभी तक के सबसे बड़े बांध थ्री गॉर्जेस को बड़ा खतरा बताया है। इस बांध के निर्माण से पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव 2-2 सेंटीमीटर खिसक गए हैं।
22500 मेगावाट बिजली, कई देशों की कुल क्षमता से भी ज्यादा
इसके निर्माण से क्षेत्र में भूस्खलन, मिट्टी का धंसना और अचानक बाढ़ की घटनाएं बढ़ी हैं। दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध होने के कारण थ्री गॉर्जेस 22,500 मेगावाट बिजली पैदा करता है। इस बांध से बिजली शंघाई समेत दो शहरों और नौ अन्य प्रांतों में भेजी जाती है। यह बांध, नेवादा (संयुक्त राज्य अमेरिका) में हूवर बांध से 11 गुना ज्यादा अक्षय ऊर्जा पैदा करता है। इस बांध को बनाने में करीब चार लाख 63 हजार टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इस बांध से छह से सात छोटे देशों को आराम से रोशन किया जा सकता है।
तिब्बत में भूकंप…दुनिया की छत पर बांधों का निर्माण प्रमुख वजह
विशेषज्ञों ने हाल में तिब्बत में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप की प्रमुख वजह बड़े-बड़े बांधों के निर्माण को बताया। उन्होंने दुनिया के सबसे दूरदराज के भूकंप संभावित क्षेत्रों में से एक एशियाई दिग्गज चीन और भारत की जलविद्युत निर्माण की होड़ से होने वाले खतरों से आगाह किया है। विशेषज्ञ हिमालय क्षेत्र में कई जलविद्युत बांध बनाने के खतरों को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि यह इलाका भूकंप संभावित है।
भूकंप से पहले ही विशेषज्ञ इतने बड़े बांध बनाने के खतरों को लेकर चिंतित थे। उदाहरण के लिए, चीन तिब्बत में दुनिया का सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाने की योजना बना रहा है, जो थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना बड़ा होगा
और 34 गीगावॉट की स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगा। यह ऊर्जा थ्री गॉर्ज डेम से तीन गुना से भी अधिक है। इस परियोजना को चीन 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य के लिए महत्वपूर्ण मान रहा है।
भूकंप के खतरे पर विशेषज्ञों की चेतावनी
दक्षिण-पश्चिमी चीन के सिचुआन के भूवैज्ञानिक फैन शियाओ ने 2022 में चेतावनी दी थी कि नया बांध (मोटुओ प्रोजेक्ट) भूकंप संभावित क्षेत्र में बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भूकंप सीधे तौर पर ऐसे प्रोजेक्ट्स को नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत के राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान के भूविज्ञानी सीपी राजेंद्रन ने कहा कि हिमालय में और अधिक बांध बनाना टिकाऊ नहीं है। उन्होंने पारिस्थितिकी से जुड़ी चिंताओं और फॉल्टलाइन पर विशाल जलाशयों के भार से भूकंप के खतरे का हवाला दिया।