
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 09 फरवरी 2025। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा है कि जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करने की प्रक्रिया जारी है और यह अगले छहीने में तैयार हो जाएगी। उन्होंने बताया, ‘काम जारी है और वास्तव में इस्पात मंत्रालय ने अपना काम पूरा कर लिया है। उन्होंने स्टील सेक्टर के लिए अपनी वर्गीकरण जारी कर दी है।
‘टैक्सोनॉमी में सभी क्षेत्रों को किया जा रहा शामिल’
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसमें सभी क्षेत्रों को शामिल किया जा रहा है। इस संबंध में एक अवधारणा पत्र संबंधित पक्षों के साथ साझा किया गया है और उनकी राय ली गई है। उन्होंने आगे कहा कि ‘हर सेक्टर के लिए अलग-अलग कमेटियां बनाई गई हैं और हमें उम्मीद है कि अगले छह महीनों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी’।
क्या है वर्गीकरण?
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 में जलवायु वित्त पोषण के लिए एक वर्गीकरण विकसित करने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से निपटने और हरित (ग्रीन) परिवर्तन के लिए अधिक पूंजी उपलब्ध कराना है। उन्होंने कहा, ‘हम जलवायु अनुकूलन और उससे निपटने के लिए पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने को जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करेंगे। यह देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं और हरित बदलाव का समर्थन करेगा।’
सरकारी उधारी और आर्थिक प्रभाव
अजय सेठ ने कहा कि सरकार के विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन से सरकारी प्रतिभूतियों से प्रतिफल कम हो सकता है। इससे कंपनियों के पास अर्थव्यवस्था में निवेश के लिए अधिक पैसा बचेगा। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर अगले वित्त वर्ष में हम चालू वित्त वर्ष की तुलना में कम कर्ज लेंगे। यहां तक कि कुल कर्ज भी पहले की तुलना में थोड़ा अधिक है, जो यह संकेत देता है कि सरकार निजी क्षेत्र के लिए बाजार में पर्याप्त धन छोड़ेगी।
सरकार ने कर संग्रह में सुधार की उम्मीद के चलते अगले वित्त वर्ष के लिए अपने कर्ज के अनुमान को घटाकर शुद्ध आधार पर 11.54 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। हालांकि, कुल बाजार कर्ज को अब चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 14.01 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 14.82 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। सरकार को अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दिनांकित प्रतिभूतियां जारी करके कर्ज लेना पड़ता है।