
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 26 मई 2025। भारत ने देश की पूर्वी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर एक बड़ा और रणनीतिक कदम उठाया है। खासकर चीन और बांग्लादेश की बढ़ती सैन्य और राजनीतिक गतिविधियों को देखते हुए, भारत ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी कॉरिडोर में अपनी सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ कर दिया है। इस नाजुक और महत्वपूर्ण क्षेत्र को अब आधुनिक S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम, राफेल लड़ाकू विमान और ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल रेजिमेंट जैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर एक मजबूत किले में बदल दिया गया है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, देश के मुख्य भूभाग को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाला एक बेहद संकरा रास्ता है, जिसकी चौड़ाई मात्र 20-22 किलोमीटर है। इस कॉरिडोर की सुरक्षा से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जुड़ी हुई है।
S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम की तैनाती
भारत ने हाल ही में चीन और बांग्लादेश की बढ़ती हवाई गतिविधियों के मद्देनजर सिलीगुड़ी कॉरिडोर में S-400 मिसाइल सिस्टम तैनात किया है। यह अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम एक साथ कई हवाई लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम है और इसकी रेंज 400 किलोमीटर से भी अधिक है। यह तैनाती भारत की तरफ से एक साफ संदेश है कि क्षेत्रीय हवाई सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की चुनौती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती पैठ और भारत की चिंता
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार चीन के साथ आर्थिक एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ा रही है, जिससे भारत की चिंताएं बढ़ी हैं। चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत बांग्लादेश में चल रहे बड़े प्रोजेक्ट भारत के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर रहे हैं। खासतौर पर लालमोनिरहाट जिले में चीन की मदद से बनने वाले नए हवाई अड्डे की योजना भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि यह हवाई अड्डा सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद करीब होगा।
राफेल और मिग विमान का तैनाती से सुरक्षा सुदृढ़
सिलीगुड़ी क्षेत्र में हाशिमारा एयरबेस पर राफेल लड़ाकू विमानों का एक स्क्वाड्रन भी तैनात किया गया है। राफेल विमानों में मेटेओर मिसाइल, SCALP क्रूज मिसाइल और अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली लगी हुई है, जो हवा में दुश्मनों को प्रभावी तरीके से निशाना बनाने में सक्षम हैं। इसके साथ ही मिग विमानों की भी उपस्थिति भारत की वायु रक्षा को और मजबूत बनाती है, जिससे क्षेत्र में किसी भी हमले का त्वरित और सटीक जवाब दिया जा सकता है।
ब्रह्मोस रेजिमेंट की भूमिका व वायु रक्षा प्रणाली का जाल
भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों को भी तैनात किया है। ब्रह्मोस मिसाइल, जो भारत-रूस संयुक्त परियोजना है, 300 से 500 किलोमीटर की दूरी तक जमीन और समुद्र के लक्ष्यों को भेद सकती है। यह मिसाइल भारत की त्वरित जवाबी कार्रवाई रणनीति ‘कोल्ड स्टार्ट’ का एक अहम हिस्सा है। सिलीगुड़ी में आकाश मिसाइल (मध्यम दूरी), SHORAD (कम दूरी) और VSHORAD (अत्यंत कम दूरी) जैसे कई वायु रक्षा सिस्टम भी लगाए गए हैं। ये सिस्टम ड्रोन, क्रूज मिसाइल और अन्य हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करते हैं और लगातार निगरानी में रहते हैं, ताकि कोई भी अचानक हमला न हो सके।
त्रिशक्ति कोर की चौकसी
सिलीगुड़ी क्षेत्र में भारतीय सेना की जमीनी कमान त्रिशक्ति कोर के पास है, जिसका मुख्यालय सुकना में स्थित है। त्रिशक्ति कोर के पास T-90 भीष्म टैंक, अत्याधुनिक पैदल सेना और तोपखाने की ताकत मौजूद है। यह कोर लगातार युद्धाभ्यास करता रहता है और सीमा पर किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहता है।