निरस्त वन अधिकार दावों पर पुनर्विचार कर पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण में लाएं तेजी : भूपेश बघेल

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मुख्यमंत्री ने वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की

प्रदेश में अब तक 4.22 लाख हितग्राहियों को व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र और 30 हजार 900 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित

व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता के माध्यम से 3.81 लाख हेक्टेयर भूमि और सामुदायिक वन अधिकार पत्रों में 12.37 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि आवंटित

वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त हितग्राहियों की भूमि समतलीकरण और मेढ़ बंधान के  लिए 365.80 करोड़ रूपए की स्वीकृति

वन अधिकार पत्र प्राप्त 95 हजार 957 हितग्राहियों को मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ

वितरित भूमि पर नलकूप खनन, कुआं और स्टापडेम निर्माण के लिए 204.44 करोड़ रूपए मंजूर

इंडिया रिपोर्टर लाइव

रायपुर 07अगस्त 2020। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश में निरस्त किए गए वन अधिकार दावों पर पुनर्विचार कर पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार मान्यता पत्रों के वितरण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। श्री बघेल ने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत निरस्त किए गए वन अधिकार दावों की समीक्षा के काम को राज्य सरकार ने अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता के कार्याें में शामिल किया है। इस कार्य में तेजी लाने के लिए सभी संबंधित विभाग समन्वय के साथ काम करें और निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए पात्र हितग्राहियों को वन अधिकार मान्यता पत्र से लाभ पहुंचाने की कार्रवाई में तेजी लाएं। श्री बघेल ने मुख्य सचिव को इस कार्य की मॉनीटरिंग के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में कहा कि वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त हितग्राहियों को वितरित की गई जमीन पर आवश्यकतानुसार भूमि समतलीकरण और मेढ़ बंधान के कार्य कराए जाएं। सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नलकूप, कुंए के लिए सहायता दी जाएं, इन हितग्राहियों को खेती-किसानी के लिए खाद बीज और कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराए जाए। 

बैठक में जानकारी दी गई कि अब तक प्रदेश में 4 लाख 22 हजार व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए हैं, जिसके तहत 3 लाख 81 हजार 148 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई है। इसी प्रकार प्रदेश में 30 हजार 900 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र वितरित किए गए है, जिनमें 12 लाख 37 हजार 822 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई है। नई सरकार के गठन के बाद निरस्त किए गए वन अधिकार मान्यता पत्रों की समीक्षा के बाद एक जनवरी 2019 से अब तक 26 हजार 924 व्यक्तिगत वन अधिकार के दावें स्वीकृत किए गए, इनमें से 16 हजार 716 व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता पत्रों के तहत हितग्राहियों को 6 हजार 835 हेक्टेयर वन भूमि वितरित की गई। बैठक में बताया गया कि 10 हजार 727 सामुदायिक दावों को स्वीकृत किया गया और 6 हजार 311 सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्रों का वितरण किया गया। सामुदायिक वन अधिकार पत्रों में कुल 4 लाख 37 हजार हेक्टेयर वन भूमि मान्य की गई है। इसी प्रकार वनों के संसाधनों पर 23 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्रों में 26 हजार 900 हेक्टेयर वन भूमि मान्य की गई है।

मुख्यमंत्री ने बैठक में वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त हितग्राहियों की भूमि पर कराए गए भूमि विकास के कार्याें, उन्हें दी गई खाद-बीज और कृषि उपकरणों के लिए दी गई सहायता, हितग्राहियों की भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के कार्याें की समीक्षा की। बैठक में जानकारी दी गई कि वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त एक लाख 49 हजार 762 हितग्राहियों की कुल 58 हजार 812 हेक्टेयर भूमि में भूमि समतलीकरण और मेढ़ बंधान के कार्याें के लिए 365 करोड़ 80 लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। इसी तरह एक लाख 84 हजार 311 हितग्राहियों को खेती के लिए खाद एवं बीज की सहायता उपलब्ध कराने के लिए 43 करोड़ 45 लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई है। वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त 11 हजार 40 हितग्राहियों को कृषि उपकरण के लिए 4 करोड़ 44 लाख रूपए स्वीकृत किए गए हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन हितग्राहियों की भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नलकूप, कुआं और स्टापडेम निर्माण के 41 हजार 237 कार्याें के लिए 204 करोड़ 44 लाख रूपए की स्वीकृति दी गई है। इन कार्याें से 11 लाख 83 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त 95 हजार 957 हितग्राहियों के प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास बनाए गए हैं।

इस अवसर पर वनमंत्री मोहम्मद अकबर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जयसिंह अग्रवाल, आबकारी मंत्री कवासी लखमा, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, सांसद बस्तर दीपक बैज, मुख्यमंत्री के सलाहकार सर्वश्री विनोद वर्मा और राजेश तिवारी, मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल,  मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव वन श्री मनोज पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी, मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी, आदिवासी विकास विभाग के सचिव डी. डी. सिंह, राजस्व सचिव सुश्री रीता शांडिल्य उपस्थित थीं।

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