
इंडिया रिपोर्टर लाइव
मुंबई 07 अप्रैल 2025। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने रविवार को कहा कि पश्चिमी और भारतीय शासकीय दृष्टिकोण में सबसे बड़ा अंतर यह है कि भारतीय प्रणाली में आध्यात्मिकता केंद्रीय भूमिका निभाती है, जबकि पश्चिमी दृष्टिकोण में ऐसा नहीं है। होसबले ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, पश्चिम शासन में आध्यात्मिकता नहीं होती है, लेकिन भारत में यह लोगों के आध्यात्मिक और भौतिक जीवन की उन्नति का विषय है। अपने संबोधन में उन्होंने नैतिकता और अच्छे शासन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि यह समाज के कल्याण की बुनियाद है। उन्होंने (मराठा साम्राज्य की महारानी) अहिल्याबाई होल्कर का उदाहरण दिया और उन्हें ईमानदारी सेवा का आदर्श बताया। होसबले ने कहा, अहिल्याबई होल्कर का जीवन हमारे इतिहास में एक चमकते हुए सितारे की तरह है। हमें हर सुबह उनका नाम लेना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्य ऐतिहासिक प्रमाणों पर आधारित थे, न कि किंवदंतियों पर।
उन्होंने समाज सेवा में उनके योगदान की भी सराहना की। होसबले ने कहा, उन्होंने अपने निजी धन को देशभर के गंगा घाटों और मंदिरों के पुनर्निर्माण या निर्माण पर खर्च किया और अपनी रियासत के खजाने को हाथ भी नहीं लगाया। उन्होंने भगवान श्रीराम, महात्मा गांधी, युधिष्ठिर और छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सभी महान नेता न्यायपूर्ण नेतृत्व के प्रतीक हैं। उन्होंने कहा, अच्छा शासन (गुड गवर्नेंस) अब दुनिया भर में चर्चा का विषय बन गया है। हर समाज चाहता है कि अच्छी शासन व्यवस्था हो। यह एक सामाजिक अपेक्षा है।
होसबले ने कर्नाटक की रानी अब्बक्का चौटा का भी जिक्र किया, जिन्होंने पुर्तगालियों को तीन बार हराया था। उन्होंने कहा कि उनका साहस आज भी लोगों को पेरित करना चाहिए। ऐसी घटनाओं पर चर्चा करने से लोगों को प्रेरणा मिलती है। आरएसएस के महासचिव ने भारतीय ‘धर्मराज्य’ (न्याय के शासन) के विचार को समझाते हुए कहा कि भारतीय शासन व्यवस्था में नैतिकता गहराई से समाहित है। उन्होंने कहा, भारत में इसे और आगे बढ़ाया गया है, जहां हर व्यक्ति का एक धर्म है और उन्हें उसी के अनुसार काम करना होता है। चाहे वह पत्नी हो, विद्यार्थी हो, शिक्षक हो, योद्धा हो या व्यापारी हो।