इंडिया रिपोर्टर लाइव
रायपुर, 18 अगस्त 2020। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और लेागों को आय का जरिया उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किए गए राज्य शासन की गोधन न्याय योजना का लाभ आमजन तक पहुंचने लगा है। दो रूपए प्रति किलो की दर से निर्धारित गोबर बेचकर पशुपालक आय अर्जित कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर स्वसहायता समूहों की महिलाए को भी इसका फायदा मिल रहा है। वर्मी कम्पोस्ट खाद निर्माण से जैविक कृषि को भी बढ़ावा मिलेगा। सुराजी ग्राम योजना अंतर्गत नरवा,गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजना से बने आदर्श गौठानों में पहले से ही गोबर इकठ्ठा कर वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा था, जिसे गोधन न्याय योजना से और अधिक गति मिल रही है।
जिला गरियाबंद के फिंगेश्वर विकासखंड अंतर्गत ग्राम बोरसी के राजीव लोचन स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी कम्पोस्ट पूर्व से ही बनाया जा रहा है। इसे गोधन न्याय योजना से जोड़ने से आसानी से गोबर उपलब्ध होने के कारण ज्यादा मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट बनाने में सहायता मिली है। वर्मी कम्पोस्ट को उद्यानिकी और वन विभाग द्वारा 8.50 रूपये प्रतिकिलो ग्राम की दर से खरीदा भी जा रहा है। इससे महिलाओं को अतिरिक्त लाभ हुआ है। इस दौरान फिंगेश्वर विकासखंड के ग्राम बोरसी, जेंजरा, रोहिना, सुरसाबांधा, भेंड्री की बिहान की महिला ग्राम संगठनों द्वारा 125 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट विक्रय किया जा चुका है।
उल्लेखनीय है कि गोधन न्याय योजना अंतर्गत गरियाबंद जिले के 100 गौठानों में पशुपालकों से 17 अगस्त तक कुल 6 हजार एक सौ 37 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। 100 गौठानो की समितियों को 62 लाख 10 हजार 114 रूपये भुगतान हेतु गौठान समिति के खातों में जारी भी कर दिया गया है। जिसका अंतरण पशुपालकों के खाते में किया जा रहा है। अभी तक 3 लाख 81 हजार 433 रूपये का भुगतान पशुपालकों के खाते में किया जा चुका है। जबकि शेष का भुगतान प्रक्रिया जारी है।