केंद्र सरकार देश को मल्टिनेशनल कंपनियों का गुलाम बना देना चाहती है: बिस्सा

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कांग्रेस ने जिस जमींदार प्रथा को खत्म किया था उसे भाजपा वापस लाना चाहती है

इंडिया रिपोर्टर लाइव

रायपुर 26 सितंबर 2020। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश बिस्सा ने स्पीक अप फॉर किसान के लिए बोलते हुए आरोप लगाया की लोकसभा में मिले बहुमत के आधार पर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी की सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर भारत में लूट का तंत्र विकसित कर देश को मल्टिनेशनल कंपनियों का गुलाम बना देना चाहती है। कांग्रेस ने जिस जमींदार प्रथा को खत्म किया था उसे भाजपा वापस लाना चाहती है।

बिस्सा ने कहा की मोदी सरकार ने वर्तमान में संपन्न हुए लोकसभा व राज्यसभा के सत्र में कुल 08 दिनों में 20 से अधिक विधेयक सत्ता की दादागिरी के बल पर पारित कर लिए हैं। आज हम के लिए आप के मध्य उपस्थित हुए आपको मैं बताना चाहूंगा जो विभिन्न विधेयक केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्यसभा में सत्ता की ताकत के आधार पर पारित किए हैं उनमें से तीन बिल ऐसे हैं जो संपूर्ण भारत वर्ष को प्रभावित करेंगे। ये बिल हैं –

  1. किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020
  2. किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन कृषि सेवा विधेयक 2020
  3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

बिस्सा ने आरोप लगाया की नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने इन बिलों के माध्यम से अपने पूंजीपति मित्रों के लिए 130 करोड़ भारतवासियों को लूटने एवं देश के खजाने को लुटाने हेतु मार्ग बना कर देने का काम किया है। आज अगर हमने इसका विरोध नहीं किया तो राष्ट्र के खजाने के साथ साथ आने वाली कई पीढ़ियां शोषण का शिकार रहेंगी। इन कानूनों की आड़ में एक खतरनाक कानूनी तंत्र विकसित कर लिया है मोदी सरकार ने, जिसको हमें बहुत गंभीरता से लेना चाहिए।

बिस्सा ने कहा की कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020 के अनुसार कृषि उपज मंडी समितियों जैसी सरकारी मंडियों के दायरे के बाहर व्यापारिक मंडिया बनाई जाएंगी। जहां किसान अपनी उपज बेच सकेंगे और तो और राज्य सरकारें इन इलाकों पर कोई टैक्स नहीं लगा सकेंगी। लेकिन इस कानून में इस बात को शामिल नहीं किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कृषि उपज को खरीदने को व्यापारी बाध्य रहेंगे।

इसके दुष्परिणाम यह निकलेंगे कि पहले तो व्यापारी किसानों को उनकी उपज का पर्याप्त मूल देगा और जब अर्थाभाव के कारण धीरे-धीरे सरकारी मंडियां अस्तित्वहीन हो जाएंगी उस दिन से किसान समर्थन मूल्य पाने के लिए भी तरस जाएगा।

भाजपा सरकार इस बात को अच्छी तरीके से जानती है और उसके मन में खोट है इसलिए वह न्यूनतम समर्थन मूल्य की बात को विधेयक में जोड़ना नहीं चाहती उसका तो एकमात्र उद्देश्य है अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाना।

इसी तरह किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन कृषि सेवा विधेयक 2020 में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) की व्यवस्था की गई है।सरकार का कहना है कि इससे बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी। जबकि वास्तविकता तो यह है कि सरकार किसान और बिचौलियों के बीच से हट जाएगी और सीधे तौर पर लूटने का अधिकार बिचौलियों को दे देगी।इस बिल के माध्यम से कांग्रेस सरकार ने जिस तरह जमींदार प्रथा को खत्म किया था वापस वह उस जमींदार प्रथा को स्थापित करने का प्रयास है

केंद्र सरकार ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 में संशोधन कर अनाज, दलहन, आलू ,प्याज खाद्य पदार्थों को आवश्यक वस्तु की सूची से बाहर किया गया है। इसका प्रभाव ये होगा कि इन वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और भंडार पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं रहेगा। जमाखोरों की चांदी हो जायेगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिये जाने वाले राशन को जमाखोरों से खरीदने के लिये मजबूर हो जायेंगी सरकारें। एक ओर तो प्रति वर्ष राष्ट्र का लाखों करोड़ रुपया मुनाफाखोरों की जेब में जायेगा दूसरी ओर आम जनता भी महंगाई का सामना करने को बेबस नजर आयेगी।

बिस्सा ने कहा की इन तीनों कानूनों को पारित करने के पीछे मोदी सरकार का एक ही लक्ष्य है कि देश भले ही आजाद कहलाए, भले ही यहां की चुनाव प्रक्रिया लोकतांत्रिक कहलाए, लेकिन देश की आत्मा किसान व अर्थव्यवस्था को चंद पूंजीपतियों का गुलाम बना दिया जाए।

बिस्सा ने अपील है कि देशवासियों को मोदी सरकार के षड्यंत्र भरे निर्णयों पर पूरी ताकत के साथ खड़ा होना चाहिए वरना सिर्फ पछताना पड़ेगा।

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