सोरेन सरकार को भेजा नोटिस
इंडिया रिपोर्टर लाइव
झारखंड 16 अक्टूबर 2020। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को झारखंड के 3,600 से ज्यादा शिक्षकों को राहत प्रदान करते हुए उन्हें सेवा में बने रहने की अनुमति प्रदान की है। साथ ही उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय ने 21 सितंबर को झारखंड की ‘रोजगार नीति-2016’ निरस्त कर दी थी। इस नीति के अंतर्गत राज्य के 13 अधिसूचित जिलों में वर्ग तीन और वर्ग चतुर्थ की शत प्रतिशत सरकारी नौकरियां दस साल के लिए स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित कर दी गईं थीं।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार को नोटिस जारी भेजे। साथ ही याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे याचिकाओं की प्रति झारखंड सरकार के वकील को दें।
उच्च न्यायालय ने 21 सितंबर के अपने फैसले में राज्य के 13 अधिसूचित जिलों में सरकारी स्कूलों में 8,423 सहायक हाई स्कूल शिक्षकों की चार साल पहले शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया निरस्त कर दी थी। इन जिलों में रांची, खुंटी, लोहरदगा, गुमला, सिमदेगा, लातेहर, पूर्वी सिंहभूमि, पश्चिमी सिंहभूमि, सेरायकेला-खरसावन, साहिबगंज, दुमक पाकुड़ और जमात्रा शामिल हैं। उच्च न्यायालय ने 8 ,423 पदों में से 3,600 से अधिक पदों पर हुई नियुक्तियों को निरस्त कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट कहा, इस पर विचार करने की जरूरत
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में निहित मुद्दों को देखते हुए उसका मत है कि इस पर विचार की जरूरत है। पीठ ने इसके साथ ही इन अपीलों तथा इसमे हस्तक्षेप के लिये दायर आवेदनों को चार नवंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ”इस दौरान, वे शिक्षक, जो अधिसूचित जिलों में काम कर रहे है, काम करते रहेंगे और उन्हें उच्च न्यायालय के फैसले की वजह से परेशान नहीं किया जायेगा। सुनवाई की अगली तारीख तक अंतरिम राहत जारी रहेगी।”