कोरोना पर US से आ रही मदद पर भी अड़ंगा लगा रहा है चीन!

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 30 अप्रैल 2021।  कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत की मदद के लिए 40 देशों ने हाथ बढ़ाया है। कई देश ऑक्सिजन, वेंटिलेटर, दवाएं भारत को सप्लाई कर रहे हैं। इस बीच, चीन ने एकबार फिर भारत की मदद में अड़ंगा लगाने की कोशिश की है। सूत्रों के अनुसार अमेरिका ने भारत के लिए जो स्वास्थ्य सुविधा देने का ऐलान किया है, उसमे ज्यादातर चीजों की डिलीवरी चीन से करनी थी क्योंकि इसका उत्पादन वहीं हो रहा है। लेकिन चीन ने तकनीकी बाधा का हवाला देकर इसे तुरंत करने में असमर्थता जताई।

सूत्रों के अनुसार इससे वहां से सारी चीजों के आने में देरी हो सकी है। हालांकि इस मुद्दे पर भारत या अमेरिका विदेश मंत्रालय ने कुछ भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया है। विदेश मंत्रालय ने चीन के अवरोध को दरकिनार करते हुए कहा है कि रेमडेसिविर और ऑक्सिजन जैसी चीजों की जरूरत को पूरा करने के लिए दुनिया के तमाम देशों के निर्माताओं से भारत संपर्क में है। भारत, मिस्र से रेमडेसिविर की 4 लाख शीशियां खरीदने की दिशा में काम कर रहा है। अमेरिका से दो विमान आज मदद लेकर आएंगे।

चीन के विदेश मंत्री ने दिया मदद का भरोसा
उधर, फिर चीन ने भारत के सामने मदद की पेशकश की है। चीन के विदेश मंत्री ने लिखकर कोविड से लड़ाई में पूरा सहयोग और समर्थन का भरोसा देने की बात कही। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के खिलाफ उनका देश भारत की हर संभव मदद करेगा। उन्होंने कहा कि चीन महामारी रोधी वस्तुओं को तेजी से भारत पहुंचा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर को लिखे पत्र में वांग ने कहा, ‘चीनी पक्ष, भारत जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनके प्रति संवेदना रखता है और गहरी सहानुभूति प्रकट करता है।’ पत्र में वांग यी ने लिखा है, ‘कोरोना मानवता का साझा दुश्मन है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर इसका मुकाबला करने की जरूरत है। चीनी पक्ष भारत सरकार और वहां के लोगों का, महामारी से लड़ाई में समर्थन करता है।’ उन्होंने कहा कि चीन जरूरत के मुताबिक भारत को मदद पहुंचाना जारी रखेगा। हमें उम्मीद और भरोसा है कि भारत सरकार के नेतृत्व के अंतर्गत लोग जल्द इस महामारी पर काबू पा लेंगे।’

अमेरिका की 40 कंपनियां मदद के लिए आगे आईं
बता दें कि विश्व की बड़ी कंपनियां भी संकट के समय भारत की सहायता के लिए आगे आ रही हैं। अमेरिका की 40 कंपनियों ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए वैश्विक टास्कफोर्स बनाने का फैसला किया है। इन कंपनियों के सीईओ की बैठक में अगले कुछ हफ्तों में 20 हजार ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर भेजने का वादा किया गया है। भारत को जरूरी मेडिकल सप्लाई, वैक्सीन, ऑक्सिजन और दूसरी दवाइयां मुहैया कराई जाएंगी। इसकी बैठक को अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकेन ने भी संबोधित किया। वहीं, डेलॉइट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा, ‘अमेरिका की कई कंपनियां एक साथ आईं। हम हरसंभव मदद पर ध्यान दे रहे हैं। ऑक्सिजन कंसन्ट्रेटर की पहली 1,000 मशीनें इस हफ्ते तक पहुंच जाएंगी और पांच मई तक 11,000 मशीनों के पहुंचने की संभावना है।’ उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा 10 लीटर और 45 लीटर की क्षमता वाले ऑक्सिजन सिलेंडर भेजने का है। उधर, अमेरिका ने एस्ट्राजेनेका टीके की छह करोड़ खुराकें दुनिया के दूसरे देशों के साथ साझा करने की घोषणा की है। अमेरिकी सर्जन जनरल डॉक्टर विवेक मूर्ति ने यह जानकारी दी। भारतीय-अमेरिकी कांग्रेस सदस्य रो खन्ना ने कहा, ‘अमेरिका में टीकाकरण जारी है, लेकिन 100 से अधिक देश अपनी आबादी को टीके लगाने के लिये संघर्ष कर रहे हैं। हम खड़े रहकर सब कुछ नहीं देख सकते। हमें दूसरे देशों को लाइसेंस देने के लिए फाइजर और मॉडर्ना पर दबाव बढ़ाना चाहिए।

रूस ने दो विमान से भेजे वेंटिलेटर्स और दवाएं, जर्मनी से भी मिली मदद
रूस ने कोरोना की लड़ाई में भारत के मदद के लिए 22 टन सामान भेजा। इसमें वेंटिलेटर्स, ऑक्सिजन कंसेन्ट्रेटर, दवाएं भी शामिल हैं। इसमें फेविपिराविर दवा का रूसी वर्जन भी शामिल है। मदद का सामान लेकर दो जहाज मॉस्को से नई दिल्ली पहुंचे। बुधवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से फोन पर बात की थी। रूस की तरफ से जो मदद मिली है उसमें 20 ऑक्सिजन प्रोडक्शन यूनिट, 75 लंग वेंटिलेटर्स, 150 मेडिकल मॉनिटर्स और दवाओं के 2 लाख पैक हैं। भारत में रूस के राजदूत निकोलाई कुदाशेव ने भी कहा है कि हम कोरोना महामारी से बिगड़ रहे भारत के हालात पर नजदीक से नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना महामारी के खिलाफ संयुक्त लड़ाई सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। उन्होंने कहा, ‘इसमें मई 2021 से स्पूतनिक वी टीके की आपूर्ति और बाद में भारत में इसका उत्पादन शामिल है।’ वहीं, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि जर्मनी की तरफ से ऑक्सिजन कंसेन्ट्रेटर का पहला कंसाइनमेंट भारत पहुंच चुकी है।

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