इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 17 जून 2021। केंद्र सरकार ने एक बड़ा सुधारात्मक कदम उठाते हुए बुधवार को करीब 200 साल पुराने आयुध कारखाना बोर्ड के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी। इसका उद्देश्य आयुध कारखानों की क्षमता बढ़ाने के साथ ही उन्हें प्रतिस्पर्द्धा के लिए तैयार करना है। इसके लिए बोर्ड के तहत संचालित हथियार और असलहा तैयार करने वाली 41 आयुध फैक्टरियों को आपस में विलय करते हुए सात कंपनियों में तब्दील किया जाएगा। केंद्रीय कैबिनेट ने करीब दो दशकों से लंबित इस सुधार प्रक्रिया पर बुधवार को मंजूरी की मुहर लगा दी।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस निर्णय को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि इन आयुध कारखानों में कार्यरत 70,000 कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, यह निर्णय देश के रक्षा उत्पादन में बढ़ोतरी के मकसद से लिया गया है। यह एक बड़ा फैसला है और इससे देश की रक्षा जरूरतों को पूरी की जा सकेंगी। इससे हमें अपने रक्षा उत्पादन के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार, सभी सात कंपनियां रक्षा क्षेत्र के अन्य उपक्रमों की तरह ही होंगी और उनका संचालन पेशेवर प्रबंधन द्वारा किया जाएगा, जिनका लक्ष्य उत्पादों की संख्या बढ़ाने के साथ ही किफायती और बेहतरीन गुणवत्ता देना होगा। सुधार की यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्म निर्भर भारत के दृष्टिकोण के तहत की जा रही है।
एक अधिकारी अनुसार, विलय के बाद बनने वाली सात कंपनियों में गोलाबारूद ग्रुप, व्हीकल ग्रुप, हथियार और उपकरण ग्रुप के साथ ही टुकड़ियों की सुविधाओं की सामग्री व अन्य ग्रुप होंगे। कैबिनेट के इस फैसले से इन कंपनियों को स्वायत्तता के साथ-साथ क्षमताओं के विकास और उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी। साथ ही पुरानी खामियों को दूर करने में भी मदद मिलेगी।
सभी कर्मचारी शुरुआती दो साल भेजे जाएंगे प्रतिनियुक्ति पर
एक अधिकारी के अनुसार, आयुध कारखानों से जुड़े सभी कर्मचारियों (ए, बी और सी) को शुरूआत में प्रतिनियुक्ति पर दो साल के लिए इन नई कंपनियों में भेजा जाएगा। इस दौरान उनकी सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और वे केंद्र सरकार के ही कर्मचारी रहेंगे। कैबिनेट के फैसले के मुताबिक, मौजूदा और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सारे दायित्वों का सरकार निर्वहन करेगी।
ऐसा है खर्च का गणित
- 5000 करोड़ रुपये आयुध कारखाना कर्मचारियों के सालाना वेतन पर खर्च करती है सरकार
- 3000 करोड़ रुपये इन आयुध कारखानों की परिचालन गतिविधियों के लिए भी होते हैं खर्च
आयुध फैक्ट्री बोर्ड के कर्मचारियों के हितों रक्षा करेगी सरकार
केन्द्र सरकार ने आयुध फैक्ट्री बोर्ड के विलय का निर्णय तो लिया, लेकिन इसके साथ-साथ इसके कर्मचारियों आदि के हितों की रक्षा का पूरा ध्यान रखा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार समूह ए, बी और सी के कर्मचारियों की सेवा शर्तों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। कर्मचारियों के पेंशन और अन्य भत्ते का वहन केन्द्र सरकार करेगी। केन्द्र सरकार ने निर्णय लिया है कि आगले दो साल तक उत्पादन ईकाई से जुड़े समूह ए,बी और सी के कर्मचारियों की सेवा शर्तों में बिना कोई बदलाव किए इन्हें प्रतिस्थापना के आधार पर बनने वाली सात कारपोरेट कंपनियों में स्थानांतरित किया जाएगा।
सरकार इसकी सफलता को सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट द्वारा लिए जाने वाले निर्णय का आधिकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में गठित मंत्रियों के समूह को दे दिया है। ताकि वह आयुध निर्माण समेत अन्य क्षेत्र में प्रोफेशनल क्षमता के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण पहल सुनिश्चित की जा सके।