इंडिया रिपोर्टर लाइव
चंडीगढ़ 22 जून 2021। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। ऐसे में कैप्टन-सिद्धू के बीच का विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा। सिद्धू दोबारा से कैप्टन के खिलाफ हमलावर हो गए हैं। पंजाब कांग्रेस का विवाद सुलझाने के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने भी मंगलवार को ही पंजाब के छह मंत्रियों और छह विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। इन नेताओं में ज्यादातर वही चेहरे हैं, जो मुख्यमंत्री द्वारा दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का विरोध किया था।
अभी तक यह भी माना जा रहा था कि सोनिया गांधी कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू से एक साथ बैठककर उनके बीच का विवाद सुलझाएंगी। अब साफ हो गया है कि पार्टी अध्यक्ष ने मुलाकात के लिए केवल कैप्टन को ही बुलाया है। दूसरी तरफ, तीन सदस्यीय समिति से मिलकर लौटे नवजोत सिद्धू अभी तक शांत थे लेकिन उन्होंने दोबारा से कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
सिद्धू ने कैप्टन से उनके कामकाज का रिपोर्ट कार्ड जारी करने की मांग करते हुए चुनौती दी कि कैप्टन उनके पार्टी के दरवाजे बंद करने वाले कौन होते हैं। सोमवार को ही पंजाब कांग्रेस में नया घटनाक्रम भी शुरू हुआ, जब कैप्टन के धुर विरोधी रहे राज्यसभा सांसद प्रताप बाजवा ने दोनों विधायकों से अपील की है कि वे अपने बेटों के लिए सरकारी नौकरी की पेशकश को स्वीकार न करें। इस बयान से यह माना जा रहा है कि बाजवा इस विवाद से कैप्टन को निकालना चाहते हैं। क्योंकि कैप्टन खुद अपना फैसला लेंगे तो पार्टी में विरोधी पक्ष को मजबूती मिलेगी।
समिति ने इन नेताओं को आज दिल्ली बुलाया
मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, रजिया सुल्ताना, सुख सरकारिया, चरनजीत सिंह चन्नी और भरत भूषण आशू के अलावा विधायक परगट सिंह, राजा वड़िंग, कुलजीत नागरा, किकी ढिल्लो, संगत सिंह गिलजियां और इंदरबीर सिंह बुलारिया को तीन सदस्यीय समिति ने दिल्ली बुलाया है।
सोनिया-कैप्टन मुलाकात पर टिकी नजरें
कैप्टन अमरिंदर सिंह की सोनिया गांधी के साथ होने वाली बैठक पर पंजाब कांग्रेस के नेताओं की नजरें टिकी हैं। बेअदबी से लेकर विधायकों के बेटों को नौकरी तक के फैसलों के कारण अपनी ही पार्टी में घिरे कैप्टन को आलाकमान का कितना साथ मिलेगा, इसी पर नवजोत सिद्धू का भविष्य भी टिका है। अगर कैप्टन आलाकमान का पूरा समर्थन हासिल कर लौटे तो सिद्धू के लिए जल्दी ही पार्टी के दरवाजे बंद होने की आशंका बढ़ जाएगी। वैसे, अपने फैसलों के चलते पंजाब कांग्रेस में कैप्टन के विरोधियों की संख्या अब 20 से बढ़कर 30 हो गई है। भले ही रविवार को कुछ मंत्रियों के कैप्टन के समर्थन में बयान जारी कर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।