इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 08 अक्टूबर 2021। छह अक्तूबर को शुरू हुई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक आज समाप्त हो गई। कोरोना की दूसरी लहर के चलते अप्रैल और मई के दौरान देश के कई हिस्सों में लगाई गई सख्त पाबंदियों से भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा था। लेकिन अब पाबंदियों में थोड़ी ढील दी गई है। ऐसे में यह बैठक बेहद अहम है। हर दो महीने में भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होती है। इस बैठक में अर्थव्यवस्था में सुधार पर चर्चा की जाती है और साथ ही ब्याज दरों का फैसला लिया जाता है। रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को नीतिगत दरों में संशोधन किया था।
खास बातें
- आरबीआई ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है।
- RBI गर्वनर शक्तिकांता दास ने कहा कि सभी सदस्य दरें बरकरार रखने के पक्ष में है।
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट भी 4.25 फीसदी पर स्थिर है।
- दास ने आगे कहा कि रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
- इसके साथ ही बैंक रेट में भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया गया है। यह 4.25 फीसदी पर है।
- केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक रुख को ‘उदार’ बनाए रखा है।
- अर्थव्यवस्था में रिकवरी के साफ संकेत दिख रहे हैं। अगस्त, सितंबर में मांग में रिकवरी दिखी। खाद्य महंगाई दर में भी कमी आई है। शुरुआती दौर में निवेश में सुधार देखने को मिल रहा है।
- जुलाई-अगस्त के लिए महंगाई दर अनुमान से कम रह सकती है। RBI महंगाई को नियंत्रण में करने की कोशिश कर रही है।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 में देश की वास्तविक जीडीपी में 9.5 फीसदी की तेजी का अनुमान लगाया है।
- इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.9 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.1 फीसदी।
- शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी 17.1 फीसदी रह सकती है।
- मुद्रास्फीति पर दास ने कहा कि, वित्त वर्ष 2021-2022 में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी रह सकती है। पिछली बैठक में 5.7 फीसदी का अनुमान लगाया गया था।
- दूसरी तिमाही में महंगाई दर 5.1 फीसदी रह सकती है, तीसरी तिमाही में 4.5 और चौथी तिमाही में यह 5.8 फीसदी हो सकती है।
- वहीं केंद्रीय बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-2023 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी रह सकती है।
- कृषि उत्पादन से ग्रामीण मांग में तेजी आएगी।
- आगे शक्तिकांत दास ने कहा कि त्योहारों में शहरी मांग बढ़ने की उम्मीद है।
- IMPS ट्रांजैक्शन की लिमिट बढ़ी- केंद्रीय बैंक ने तत्काल भुगतान सेवा (IMPS) के जरिए लेनदेन लिमिट राजाना दो लाख से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है।
- रिजर्व बैंक ने देशभर में ऑफलाइन मोड में खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए एक संरचना पेश करने का भी प्रस्ताव दिया।
- इससे डिजिटल भुगतान की पहुंच का विस्तार होगा और लोगों एवं व्यवसायों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने चुनिंदा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) में शिकायतों के निपटान के लिए आंतरिक लोकपाल (ऑम्बड्समैन) योजना (आईओएस) की घोषणा की है। यह आईओएस बैंकों की तर्ज पर ही होगा और सेवाओं में खामियों की शिकायतों का समाधान करेगा।
- पिछले वर्षों में केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी में ग्राहकों के संरक्षण के कई उपाय किए हैं। 2013 में इस तरह के ऋणदाताओं से शिकायतों के निपटान के लिए नोडल अधिकारी की नियुक्ति को कहा गया था। मालूम हो कि 2018 में एनबीएफसी के लिए लोकपाल योजना शुरू की गई थी।
- ईंधन की कीमतों में वृद्धि से चिंतित, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रत्यक्ष रूप से सरकार से पेट्रोलियम उत्पादों पर करों में कटौती करने का आग्रह किया। दास ने कहा कि, ‘ईंधन पर अप्रत्यक्ष करों के एक कैलिब्रेटेड रिवर्सल के माध्यम से लागत-पुश दबावों को नियंत्रित करने के प्रयास मुद्रास्फीति की अधिक निरंतर कमी में योगदान कर सकते हैं।’