इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 16 दिसम्बर 2021 । अमेरिका में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए वैक्सीन तैयार करने वाली टीम में अजमेर की बेटी डॉ. छवि जैन भी शामिल रहीं। इस वैक्सीन का जानवरों पर सफल ट्रायल होने के बाद अब महिलाओं पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया गया है। इससे लाइलाज ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की उम्मीद जगी है। छवि की कहानी अनोखी है।
छवि की मां का कहना है कि बेटी को कभी पढ़ते नहीं देखा, लेकिन जब भी सवाल पूछा तो सही जवाब दिया। हम भी हैरान हो जाते थे। छवि खुद कहती हैं कि देर तक पढ़ाई मैंने कभी नहीं किया, लेकिन लर्निंग पावर अच्छा था।
अजमेर के जवाहर लाल नेहरू हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संजीव जैन मेरे पिता हैं। मेरी मां डॉ. नीना जैन भी इसी हॉस्पिटल में हैं। वह एनिस्थिया विभाग में सीनियर प्रोफेसर और पूर्व HOD हैं। मेरी शुरुआती पढ़ाई सोफिया एंड मयूर स्कूल में हुई। इसके बाद पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ बायो इन्फोर्मेटिक्स एंड बायो टेक्नोलॉजी से एम.टेक और स्विटजरलैंड की स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी (EPFL) यूनिवर्सिटी से PhD की डिग्री ली। फिलहाल मैं अमेरिका के लर्नर इंस्टीट्यूट क्लीवलैंड क्लिनिक में हूं। यहां डॉ. थामस बड और डॉ. विनसेंट टूही की रिसर्च पर आधारित कैंसर वैक्सीन की ट्रायल टीम में मैं शामिल रही। वर्तमान में वह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की फीमेल रिसर्चर एम्बेसेडर भी हैं।
लर्निंग पावर अच्छा है
मेरा लर्निंग पावर अच्छा था। एक बार पढ़ने से ही कोई भी चीज अच्छी तरह याद हो जाती थी। मेरी छोटी बहन ज्यादा पढ़ती थी। मम्मी-पापा उससे मेरी तुलना करते होंगे। पढ़ती तो मैं भी थी, लेकिन उसके जितना नहीं। इसका कारण केवल इतना था कि एक जगह ज्यादा देर बैठकर पढ़ना मुझे अच्छा नहीं लगता था।
पहले इंजीनियर बनने की इच्छा थी
मेरे कजिन इंजीनियर थे और मैं भी इंजीनियर बनना चाहती थी। मयूर स्कूल में 11वीं में मैथ्स सब्जेक्ट लिया। कुछ ही दिनों बाद बॉयो पढ़ने की इच्छा हुई तो स्कूल प्रबन्ध से इजाजत लेकर एक दिन के लिए बायो की क्लास अटेंड की। वहां बहुत अच्छा लगा और सब्जेक्ट में रुचि भी बढ़ी। फिर रिक्वेस्ट करके मैथ्स के साथ बायो भी ले लिया। छुट्टियों में इंजीनियरिंग की कोचिंग शुरू की, लेकिन कुछ ही दिनों में मन बदल गया। मेडिकल की कोचिंग जॉइन कर ली। उस वक्त भी एमबीबीएस कर फिजीशियन बनने की इच्छा थी। बाद में पापा-मम्मी ने प्रोत्साहित किया कि मैं सेल एंड जीन थैरेपी में रिसर्च करूं और इस फील्ड में आ गई। आज जो भी हूं वो पेरेंट्स के मोटिवेशन का रिजल्ट है।
ड्रग सेक्टर में कुछ नया करने का इरादा
आज-कल नई-नई बीमारियां आ रही हैं। ऐसे में ड्रग सेक्टर में ही कुछ नया करने का इरादा है। फिलहाल इंडिया आने का मन भी नहीं है और ऐसी परिस्थिति भी नहीं है। भविष्य में जरूर सोच सकती हूं कि भारत में आकर कुछ करूं।
अवार्ड भी अपने नाम किए
मेरे शानदार काम के लिए क्लीवलैंड क्लिनिक के शीर्ष नेतृत्व की ओर से एप्रीसिएशन एंड एक्सिलेन्स अवार्ड और एम्पलॉई ऑफ द क्वार्टर अवार्ड दिया गया। केसवेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी से फेलोशिप भी हासिल हुई। मुझे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से मनुष्यों पर पहले अध्ययन की मंजूरी हासिल कराने में सफलता मिली है।
इससे पहले बचपन से छवि ने हर एक्टीविटीज में हमेशा अच्छा किया और स्कूल, कॉलेज लेवल पर कई अवार्ड जीते। वर्तमान में वह अमेरिकन कैंसर सोसाइटी की फीमेल रिसर्चर एम्बेसेडर भी हैं।