इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 29 अगस्त 2022। देश के कई राज्यों में पशु चिकित्सकों की किल्लत और टीकों की उपलब्धता में कमी देखते हुए भारत में मवेशियों की बड़ी तादाद का टीकाकरण मुश्किल काम है। चिंताजनक बात यह है कि बीमारी शुरुआत में गायों में फैल रही थी। लेकिन अब पंजाब जैसे राज्यों में भैंसों में भी फैलने लगी है.
देश में कोविड टीकाकरण के बाद अब जल्द ही मवेशियों को टीके लगाने का भी बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है। यह टीकाकरण मवेशियों को लंपी चर्म रोग से बचाने के लिए होगा क्योंकि उनके शरीर में गांठ डालने वाला यह जानलेवा रोग देश में तेजी से फैल रहा है। इसलिए सरकार और सहकारी डेरी दूध उत्पादन में गिरावट से बचने के लिए तेजी से मवेशियों को टीके लगाने की कोशिश में हैं। देश में दूध के सालाना उत्पादन पर लंपी चर्म रोग का असर अभी अनिश्चित है। इधर, विशेषज्ञ उत्पादन में बड़ी गिरावट की चेतावनी दे रहे हैं मगर इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि यह असर शायद सीमित ही रहेगा और बीमारी फैलने के स्तर पर निर्भर करेगा। हालांकि इस बीच केंद्र हालात पर कड़ी नजर बनाए हुए है और इस मुद्दे पर रोजाना बैठकों का दौर जारी है।
देश में सालाना दूध उत्पादन 21 करोड़ टन से अधिक
देश में दूध का सालाना उत्पादन 21 करोड़ टन से अधिक है। जिसमें हाल के वर्षों में गाय के दूध की हिस्सेदारी बढ़ गई है। हर साल होने वाले कुल दूध में 51 फीसदी गाय का दूध होता है और करीब 45 फीसदी भैंस से मिलता है। बाकी दूध बकरी का होता है। लंपी चर्म रोग मुख्य रूप से गायों में फैल रहा है, मगर अब यह भैंसों में भी फैलने लगा है। देश में अभी लंपी चर्म रोग के किसी भी टीके को मंजूरी हासिल नहीं है। इसलिए फिलहाल संक्रमण से बचाव के लिए मवेशियों को गोट पॉक्स टीका लगाया जा रहा है। फिलहाल यह टीका इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड और पशु टीका बनाने वाली अहमदाबाद की निजी कंपनी हेस्टर बायोसाइंस ही बनाती हैं। ये दोनों कंपनियां ही गोट पॉक्स टीका दे रही हैं। आईआईएल राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की इकाई है।
हर माह तैयार हो रही 5.8 करोड़ खुराकें
डेरी विकास बोर्ड से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एनडीडीबी के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स ने गोट पॉक्स टीके का उत्पादन बढ़ा दिया है। अब यह हर हफ्ते 18 लाख खुराक बना रही है ताकि टीके की बढ़ती मांग पूरी की जा सके। हेस्टर ने भी आपूर्ति बढ़ा दी है। गुजरात के उसके संयंत्र की 70 फीसदी क्षमता गोट पॉक्स टीका बनाने में ही इस्तेमाल हो रही है। हेस्टर हर महीने करीब 4.5 करोड़ खुराक बनाने की तैयारी में लगी हुई है। हेस्टर और आईआईएल मिलकर हर महीने 4.8 से 5.8 करोड़ खुराकें तैयार कर रही हैं।
राजस्थान के बाद पंजाब जैसे राज्यों में भी फैल रही है बीमारी
देश के कई राज्यों में पशु चिकित्सकों की किल्लत और टीकों की उपलब्धता में कमी देखते हुए भारत में मवेशियों की बड़ी तादाद का टीकाकरण मुश्किल काम है। चिंताजनक बात यह है कि बीमारी शुरुआत में गायों में फैल रही थी। लेकिन अब पंजाब जैसे राज्यों में भैंसों में भी फैलने लगी है। पशु चिकित्सकों का कहना है कि,इस बीमारी से संक्रमित मवेशियों के दूध उत्पादन पर बड़ा असर पड़ा है। अत्यधिक संक्रमित मवेशियों में मृत्यु दर करीब 10 से 15 फीसदी है। कुछ मामलों में मवेशियों को बुखार आने के साथ ही दूध में 50 फीसदी गिरावट आई है। जबकि कुछ मामलों में दूध बिल्कुल सूख गया है। अभी कंपनियों को पूरी मवेशी आबादी के टीकाकरण के लिए जरुरी खुराक तैयार करने में करीब तीन से चार माह लगेगा। जबकि सहकारी डेरियों ने मवेशियों में टीकाकरण शुरू कर दिया है।
लंपी चर्म रोग सबसे पहले राजस्थान में पाया गया था। इसके बाद यह तेजी से गुजरात में फैल गया। अब इसका असर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रहा है। इसके अलावा दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और दक्षिण राज्यों में भी दिखाई दे रही है।