इंडिया रिपोर्टर लाइव
वांशिगटन 28 फरवरी 2023। अमेरिकी खूफिया एजेंसी सीआईए के मुखिया बिल बर्न्स का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का परमाणु हथियारों का विरोध करना, बेहद अहम है। बता दें कि रूस यूक्रेन युद्ध में अमेरिका को आशंका है कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है, ऐसे में अमेरिका द्वारा कोशिश की जा रही है कि रूस को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से रोका जा सके। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत और चीन को रूस से बात करने की अपील की थी ताकि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोका जा सके। ऐसे हालात में भारत और चीन ने जिस तरह से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का विरोध किया है, उस पर अमेरिका ने संतोष जताया है।
एक इंटरव्यू के दौरान बर्न्स ने बताया कि बीते साल रूस की खूफिया एजेंसी के प्रमुख सर्गेई नरशकिन के साथ, उनकी तुर्किये में मुलाकात हुई थी। बर्न्स ने बताया कि यह बातचीत बेहद निराशाजनक रही। इस बातचीत के दौरान बर्न्स ने सर्गेई नरशकिन और उनके द्वारा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यह संदेश देने की कोशिश की कि अगर उन्होंने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। सीआईए चीफ ने कहा कि नरशकिन और रूसी राष्ट्रपति भी इसकी गंभीरता को समझते हैं। ये भी अहम है कि चीनी नेतृत्व और भारत के प्रधानमंत्री मोदी भी साफ कर चुके हैं कि वह किसी भी तरह के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का विरोध करेंगे।
बर्न्स ने कहा कि नरशकिन के साथ बातचीत में उन्हें एहसास हुआ कि पुतिन अभी भी अहंकार में हैं और उन्हें लगता है कि वह सबकुछ नियंत्रित कर सकते हैं। पुतिन को लगता है कि वह यूक्रेन को तबाह कर सकते हैं और यूक्रेन के सहयोगी यूरोपीय देशों को भी झुका सकते हैं। गौरतलब है कि अमेरिका और रूस के बीच स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी थी, जिसके तहत दोनों देश परमाणु हथियारों के एक दूसरे के भंडारों का निरीक्षण करते थे लेकिन अब रूस ने इस संधि से निकलने का एलान कर पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। पुतिन यूक्रेन युद्ध के दौरान कह भी चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी तो वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से नहीं चूकेंगे।