इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 11 दिसंबर 2023। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य से संबंधित अनुच्छेद 370 को निरस्त करने संबंधी सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने के निर्णय का स्वागत करते हुए सोमवार को कहा कि इससे साबित हो गया कि केंद्र सरकार का फैसला ‘पूरी तरह से संवैधानिक’ था। शाह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं, जिसमें अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के फैसले को बरकरार रखा गया है।” इस पोस्ट के साथ उन्होंने हैशटैग ‘नया जम्मू कश्मीर’ भी लिखा। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 को, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का एक ‘दूरदर्शी’ निर्णय लिया। उन्होंने कहा, ‘‘तब से जम्मू-कश्मीर में शांति और सामान्य स्थिति लौट आई है। प्रगति और विकास ने घाटी में मानव जीवन को नए अर्थ दिए हैं। पर्यटन और कृषि क्षेत्रों में समृद्धि ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के निवासियों की आय के स्तर को बढ़ाया है।” उन्होंने कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय के फैसले ने साबित कर दिया है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का निर्णय पूरी तरह से संवैधानिक था।
शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने के बाद गरीबों और वंचितों के अधिकार बहाल हुए हैं और अलगाववाद तथा पथराव अब अतीत की बातें हो गई हैं। उन्होंने कहा कि पूरा क्षेत्र अब मधुर संगीत और सांस्कृतिक पर्यटन से गूंज रहा है और एकता के बंधन मजबूत हुए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘भारत’ के साथ जम्मू-कश्मीर की अखंडता मजबूत हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हमेशा हमारे देश का था और आगे भी रहेगा।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में स्थायी शांति स्थापित करने और क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, ‘‘चाहे वह नए प्रोत्साहनों के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना हो, अत्याधुनिक शैक्षिक बुनियादी ढांचे का निर्माण करना हो या कल्याणकारी योजनाओं के साथ गरीबों को सशक्त बनाना हो, हम इस क्षेत्र के लिए अपनी पूरी ताकत लगाना जारी रखेंगे।
ज्ञात हो कि उच्चतम न्यायालय ने पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते हुए सोमवार को कहा कि अगले साल 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल किया जाए। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने अपने और न्यायमूर्ति बी आर गवई एवं न्यायमूर्ति सूर्यकांत की ओर से फैसला सुनाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे रद्द करने की शक्ति है।
शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा। केंद्र सरकार ने इस दिन अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया था।