
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 09 मई 2025। दिल्ली सरकार इस समय पूरी राजधानी में स्वच्छता अभियान चला रही है। इसके अंतर्गत दिल्ली के हर इलाके में साफ-सफाई का काम किया जा रहा है। इसमें पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथों को भी अतिक्रमण से मुक्त कराया जा रहा है। लेकिन दिल्ली सरकार के इस कदम से रेहड़ी-पटरी पर काम करने वाले लाखों लोगों की जिंदगी पर संकट गहरा गया है। रेहड़ी-पटरी वालों ने दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से गुहार लगाई है कि वे उनके रोजगार की रक्षा करें। नेशनल एसोसिएशन ऑफ़ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) के अध्यक्ष अरबिंद सिंह ने गुरुवार को कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य हैं, लेकिन दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर उन्हें अपने स्थानों से बेदखल किया जा रहा है। जिन लोगों को रेहड़ी-पटरी पर काम करने के लिए एमसीडी से लाइसेंस दिया गया है, उन्हें भी उनकी जगहों से बेदखल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को तत्काल ऐसे लोगों की आजीविका के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका की सुरक्षा और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन) अधिनियम, 2014 स्ट्रीट वेंडर्स को अवैध बेदखली, उत्पीड़न, सामग्री की जब्ती, पुलिस हस्तक्षेप और अन्य से बचाने के लिए अधिकार प्रदान करता है। इसमें कहा गया है कि जब तक सभी स्ट्रीट वेंडर्स को वेंडिंग सर्टिफिकेट जारी नहीं हो जाता, तब तक किसी भी स्ट्रीट वेंडर को बेदखल या स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। प्रत्येक स्ट्रीट वेंडर को अपने वेंडिंग सर्टिफिकेट की शर्तों के अनुसार स्ट्रीट वेंडिंग व्यवसाय करने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत स्ट्रीट वेंडर्स को नया स्थान या क्षेत्र प्रदान करने, बिना 30 दिन का नोटिस दिए स्थानांतरित या बेदखल नहीं करने का भी वादा किया गया है। पुलिस और अन्य प्राधिकरणों द्वारा उत्पीड़न से रोकथाम के भी प्रावधान किये गए हैं। लेकिन इन सभी कानूनों के होने के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा रेहड़ी-पटरी वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रेहड़ी-पटरी वाले विक्रेता सबसे कमजोर तबकों की सेवा करते हैं और लोगों को रोजगार भोजन और अन्य सहूलियत उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने अनुरोध किया कि सरकार लाखों लोगों की जिंदगी और रोजगार पर आए इस संकट को दूर करे।