रतनपुर 05 मई 2020 । बीपीएल जनगणना 2011 सर्वे सूची में नाम नहीं होने से शासन की योजनाओं से वंचित होकर अभिशाप का दंश झेलने आज आदिवासी परिवार मजबूर है।आर्थिक स्थिति के साथ शारीरिक रूप से कमजोर होने से परिवार की हालत ऐसी कि गरीबी को भी रोना आ जाये।मांग के बाद भी आवास जैसी योजना का लाभ नही मिलने से आदिवासी परिवार के लिए शासन की योजना महज छलावा साबित हो रहा है।बावजूद इसके आज भी ग्रामीण मदद की आस में नजरें टिकाए बैठी हुए है।
कोटा विकासखंड ग्राम पंचायत खैरा निवासी भुजबल सिंह नेटी पिता महासिंह नेटी उम्र 42 वर्ष के लिए जीवन का सफर कटीले राहों से भरा पड़ा है।उक्त ग्रामीण आर्थिक स्थिति से कमजोर होने के साथ लकवा से भी पीड़ित होने की वजह से शारीरिक रूप से भी कमजोर हो गया है।ग्रामीण के परिवार में पत्नी दो बच्चे लगभग एक वर्ष और ढाई वर्ष सहित कुल चार सदस्य है।नौनिहाल बच्चों का पालन-पोषण, पति की देखभाल के साथ जीविका चलाने के लिए रोजी मजदूरी करना महिला के लिए चुनौती पूर्ण हो चुका है।आज यह परिवार रोटी कपडा और मकान जैसी प्राथमिक सुविधा के लिए मोहताज हो रही हैं।परिवार के हालात इस कदर दयनीय हो चुकी है की न चाहते हुए भी टूटी फूटी छोटी सी झोपड़ी में जीवन काटने मजबूर है। जहां हर वक्त जमीन पर रेंगने वाले जहरीले जीव जंतु के साथ प्राकृतिक आपदा का भी भय लगा रहता है।आदिवासी परिवार की मकान मे न तो पक्की दीवार है और ना ही पक्की छत।चंद सूखी लकडियों से घिरा हुआ दीवार और धान की पैरा से ढककर बनाया गया छत है जहां पूरा परिवार बरसात के दिनों में टपकते पानी के बीच और ठंड के मौसम में ठिठुरन भरी तेज हवाओं से लड़ने के बाद अब परिवार के समक्ष कड़कड़ाती धूप के साथ गर्म हवाओ की लू से बचने की समस्या खड़ी हो गई है।गरीबी,निराश्रित शारीरिक रूप से असहाय परिवार को देख इंसान क्या परछाई का भी मन व्यथित हो जाएगा?