इंडिया रिपोर्टर लाइव
वाशिंगटन 30 मई 2024। अमेरिका में एक बार फिर लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में आवाज उठी है और उनकी विजय को भारत के लिए जरूरी बताया गया है। भारतीय मूल के एक प्रभावशाली अमेरिकी लेखक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 10 साल के शासन के दौरान विकास पर ध्यान केंद्रित किया है और तीसरे बार उनके निर्वाचन से भारत को अगले पांच साल तक स्थिरता मिलेगी साथ ही उन्हें देश के समक्ष मौजूद कुछ प्रमुख चुनौतियों से निपटने का अवसर मिलेगा। प्रिंसटन निवासी भारतीय-अमेरिकी लेखक राजीव मल्होत्रा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘भारत इन सभी चुनौतियों (देश के बाहर से आने वाली चुनौतियों) का डटकर मुकाबला कर सकता है। भारत, मोदी सरकार के कारण इन सभी चुनौतियों का मुकाबला कर सकता है। लोगों के तमाम दावों, तर्कों और आलोचनाओं के बावजूद हकीकत यही है कि उन्होंने विकास किया है और अधिक विकास की आवश्यकता है लेकिन उन्होंने विकास किया है।” मल्होत्रा ने पिछले कुछ दशक में भारतीय संस्कृति और समाज के संबंध में पश्चिमी अकादमिक अध्ययन के विरोध में कई किताबें लिखी हैं। ‘स्नेक इन द गंगा: ब्रेकिंग इंडिया 2.0′ उनकी नवीनतम पुस्तक है। उन्होंने भारतीय मीडिया की खबरों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि मोदी तीसरी बार सत्ता में आ रहे हैं, अपने दो कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने विकास किया है जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिला है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप आंकड़ों के आधार पर देख सकते हैं कि गरीबों से लेकर अल्पसंख्यकों तक समाज के हर वर्ग को लाभ मिला है। आप संख्यात्मक रूप से देखा सकते हैं कि अब उनके पास सड़कें, साफ पानी, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं, भोजन और शिक्षा है। तो लोगों को कहना होगा कि इस सरकार ने काम किया है जबकि पिछली सरकार गरीबी से लड़ने आदि के नारे लगा रही थी लेकिन काम नहीं कर रही थी।” मल्होत्रा अमेरिका में ‘इनफिनिटी फाउंडेशन’ के प्रमुख है। उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के हालिया बयान से सहमति जताई कि बाहरी ताकतों ने भारतीय चुनाव के परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश की है।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘सबसे पहले मैं यह कहना चाहता हूं कि मुझे जयशंकर की योग्यता, उनकी निर्भीकता और उनकी हाजिर जवाबी पसंद है। यह सब अच्छा है। लेकिन मैं यह कहूंगा कि मेरी एक आलोचना है कि वह पूर्वानुमान लगाने में सक्षम नहीं हैं। वह प्रतिक्रिया दे सकते हैं। वह यह पूर्वानुमान लगाने में असमर्थ हैं कि कमजोरियां कहां हैं, अगला हमला कहां से होने वाला है, बुरे लोग कौन हैं और इसे करने वाले कौन हैं।