इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 17 अगस्त 2024। भारतीय सेना और वायुसेना ने एक संयुक्त ऑपरेशन में अहम उपबल्धि हासिल की है। दरअसल भारतीय सेना ने 15,000 फीट के करीब ऊंचाई वाले क्षेत्र में आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब को सफलतापूर्वक एयर ड्रॉप करने की उपलब्धि हासिल की है। आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब को देश में ही भारत हेल्थ इनीशिएटिव फॉर सहयोग हित और मैत्री (BHISHM) योजना के तहत विकसित किया गया है।
घायल जवानों को युद्ध क्षेत्र में ही मिल सकेगा इलाज
भारतीय सेना के पैरा ब्रिगेड ने अपने उन्नत सटीक ड्रॉप उपकरणों का उपयोग करके ट्रॉमा केयर क्यूब को एयर ड्रॉप के बाद सफल तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस ऑपरेशन में सेना की क्षमताओं को रेखांकित किया, जिसमें दूरस्थ और ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में भी प्रभावी ढंग से HADR संचालन किया जा सकता है। वायुसेना ने क्यूब को एयरलिफ्ट करने और सटीक रूप से पैरा-ड्रॉप करने के लिए अपने उन्नत सामरिक परिवहन विमान C-130J सुपर हरक्यूलिस का उपयोग किया। आमतौर पर युद्ध या आपात स्थिति में घायल जवानों को इलाज के लिए एयर लिफ्ट करना पड़ता है, लेकिन इस आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब की मदद से युद्धक्षेत्र में ही जवानों के इलाज की सुविधा तैयार की जा सकती है।
क्या है आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब और इससे सेना को क्या होगा फायदा
आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल है। केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित भारत सरकार की कंपनी, एचएलएल लाइफ केयर, आरोग्य मैत्री क्यूब के निर्माण के लिए नोडल एजेंसी है। प्रोजेक्ट भीष्म ( सहयोग हित और मैत्री के लिए भारत स्वास्थ्य पहल ) के तहत इन हेल्थ क्यूब को डिजाइन किया गया है। मॉड्यूलर आघात प्रबंधन और सहायता प्रणाली 72 मिनी-क्यूब्स से बना है। इसमें एक मिनी-आईसीयू, एक ऑपरेशन थिएटर, खाना पकाने का स्टेशन, भोजन, पानी, एक बिजली जनरेटर, रक्त परीक्षण उपकरण, एक एक्स-रे मशीन जैसे चिकित्सा उपकरण और आपूर्ति शामिल है।
यह पोर्टेबल अस्पताल गोली लगने, जलने, सिर, रीढ़ की हड्डी और छाती की चोटों, छोटी सर्जरी, फ्रैक्चर और बड़े रक्तस्राव का उपचार कर सकता है। इसमें 200 से अधिक रोगियों का इलाज हो सकता है। ये क्यूब हल्के और पोर्टेबल हैं , और इन्हें एयरड्रॉप से लेकर ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन तक कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है। इस पोर्टेबल अस्पताल को महज आठ मिनट में तैयार कर मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकता है। एक अस्पताल को तैयार करने में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत आती है। यह पोर्टेबल अस्पताल हवाई रूट के जरिए, ज़मीन से या समंदर के रास्ते कहीं भी भेजा जा सकता है।