इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 03 सितंबर 2024। केंद्र सरकार ने सोमवार को तीन साल की अवधि के लिए 23वें विधि आयोग के गठन किया है। सरकार अधिसूचना जारी की है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश इसके अध्यक्ष और सदस्य होंगे। 22वें लॉ पैनल का कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो गया था। सोमवार देर रात जारी कानून मंत्रालय के आदेश के मुताबिक पैनल में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और सदस्य-सचिव सहित चार पूर्णकालिक सदस्य होंगे। विधि कार्य विभाग के सचिव और विधायी विभाग के सचिव इसके पदेन सदस्य होंगे। आदेश के मुताबिक पांच से अधिक अंशकालिक सदस्य नहीं हो सकते। आदेश में कहा गया, ‘अध्यक्ष/सदस्य जो सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवा कर रहे हैं, वे सर्वोच्च न्यायालय/उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्ति की तारीख या आयोग के कार्यकाल की समाप्ति तक पूर्णकालिक आधार पर अपने कार्य करेंगे।’
आदेश में यह भी कहा गया है कि यदि “अन्य श्रेणी” के व्यक्तियों को अध्यक्ष या पूर्णकालिक सदस्यों के रूप में नियुक्त किया जाता है, तो अध्यक्ष प्रति माह 2.50 लाख रुपये (निर्धारित) के वेतन का हकदार होगा। वहीं सदस्यों को 2.25 लाख रुपये प्रति माह का वेतन दिया जाएगा। सरकार ने 22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को तीन वर्ष की अवधि के लिए किया था। जस्टिस अवस्थी ने नौ नवंबर, 2022 को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फरवरी 2023 में 22वें विधि आयोग का कार्यकाल बढ़ा दिया था।
स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता के लिए नए सिरे से जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के लिए धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता समय की मांग है। उन्होंने मौजूदा कानूनों को सांप्रदायिक नागरिक संहिता करार देते हुए उन्हें भेदभावपूर्ण बताया था और कहा था कि ऐसे कानून जो देश को सांप्रदायिक आधार पर बांटते हैं तथा असमानता का कारण बनते हैं, उनके लिए आधुनिक समाज में कोई जगह नहीं है। राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि पूरे भारत में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है। समान नागरिक संहिता भाजपा के चुनावी घोषणापत्रों में प्रमुख मुद्दा रहा है।