
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 07 अक्टूबर। चीन और भारत के बीच लगातार तनाव बना हुआ है। हालांकि, भारतीय सेना लगातार सीमा पर निगरानी बनाए हुए है। बीजिंग के साथ सीमा विवाद के बीच अब भारतीय वायुसेना ने पूर्वी मोर्चे पर 55,000 से अधिक फीट की ऊंचाई पर चीनी जासूसी गुब्बारे जैसे लक्ष्यों को मार गिराकर अपनी क्षमता साबित की।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना ने कुछ महीने पहले पूर्वी वायु कमान की जिम्मेदारी वाले क्षेत्र में एक जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के लिए राफेल लड़ाकू जेट का इस्तेमाल किया था। इससे पहले अमेरिका की वायुसेना ने भी एक ऐसा ही मिशन शुरू किया था, जिसके तहत चीन के जासूसी गुब्बारे को लक्ष्य बनाया गया था।
F-22 रैप्टर फाइटर जेट से भी चीन को पछाड़ चुके
भारतीय वायुसेना ने बहुत ऊंचाई पर उड़ने वाले जासूसी गुब्बारों से निपटने के मुद्दे पर पिछले साल अमेरिकी वायु सेना के साथ की थी। दरअसल, इससे पहले अमेरिकी सरकार ने 2023 की शुरुआत में समुद्र के ऊपर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के लिए पांचवीं पीढ़ी के F-22 रैप्टर फाइटर जेट का इस्तेमाल किया था। हालांकि, चीनी जासूसी गुब्बारे की तुलना में आकार में अपेक्षाकृत छोटे गुब्बारे का इस्तेमाल किया, जिसे अमेरिकी वायु सेना ने मार गिराया था।
अब इतनी ऊंचाई पर उड़ रहे जासूसी गुब्बारे को बनाया निशाना
भारतीय सेना के अनुसार, हाल में लक्ष्य बनाया गया चीनी जासूसी गुब्बारा कुछ पेलोड के साथ हवा में छोड़ा गया, जिसे 55,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर एक इन्वेंट्री मिसाइल का उपयोग कर मार गिराया गया। भारतीय वायुसेना ने अपनी यह क्षमता तब साबित की, जब वर्तमान प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह वायु सेना के उप प्रमुख के रूप में समग्र संचालन के प्रभारी थे। वर्तमान उप प्रमुख एयर मार्शल एसपी धारकर पूर्वी वायु कमांडर थे। तत्कालीन महानिदेशक एयर ऑपरेशन एयर मार्शल सूरत सिंह अब पूर्वी वायु कमांडर हैं।
यह गुब्बारा भारत में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में देखा गया था। दरअसल, गुब्बारों का उपयोग एक बड़े क्षेत्र पर निगरानी रखने के लिए किया जाता है। हालांकि, कुछ देश इसका गलत इस्तेमाल कर दूसरे देशों की जासूसी करते हैं। ऐसे में वायुसेना सतर्क रहती है।
गुब्बारों का इस्तेमाल बड़े क्षेत्र में निगरानी करने के लिए किया जाता
साल 2023 की शुरुआत में, अमेरिकी वायु सेना के F-22 ने दक्षिण कैरोलिना के तट पर एक चीनी जासूसी गुब्बारे को मार गिराया था, जो कई दिनों तक उत्तरी अमेरिका में घूमता रहा था। इसी तरह का गुब्बारा भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र में देखा गया था और ऐसा माना जाता है कि गुब्बारों का इस्तेमाल बड़े क्षेत्र में निगरानी करने के लिए किया जाता है। हालांकि, इसे देखे जाने के तीन-चार दिन बाद तक इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद यह दूर चला गया। यह भी माना जाता है कि चीनी जासूसी गुब्बारों में किसी प्रकार की स्टीयरिंग प्रणाली होती है। उनका उपयोग अपने हित वाले क्षेत्रों में स्थिर रहने के लिए किया जा सकता है। फोर्स भविष्य में ऐसे खतरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया भी तैयार कर रहा है।