इंडिया रिपोर्टर लाइव
पुणे 17 दिसंबर 2024। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि किसी को अहंकार को दूर रखना चाहिए नहीं तो वह गड्ढे में गिर सकता है। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति में एक सर्वशक्तिमान होता है, जो समाज की सेवा करने की प्रेरणा देता है, लेकिन अहंकार भी होता है। उन्होंने निस्वार्थ सेवा पर जोर दिया। भारत विकास परिषद के विकलांग केंद्र के रजत जयंती समारोह के समापन संबोधन भागवत ने अहंकार के बारे में अपनी बात रखने के लिए रामकृष्ण परमहंस की ‘पका हुआ मैं’ और ‘कच्चा मैं’ की शिक्षाओं का हवाला दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि रामकृष्ण परमहंस के अनुसार हर व्यक्ति में दो ‘मैं’ होते हैं। एक कच्चा और दूसरा पका हुआ। व्यक्ति को पके हुए ‘मैं’ को थामे रखना चाहिए और अहंकार को दर्शाने वाले कच्चे ‘मैं’ को दूर रखना चाहिए। अगर कोई उस कच्चे ‘मैं’ के साथ जीवन जीता है, तो वह गड्ढे में गिर जाएगा।
समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक
संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि भारत के विकास को सुनिश्चित करने के लिए समाज के हर वर्ग को सशक्त बनाना आवश्यक है। राष्ट्र की प्रगति केवल सेवा तक सीमित नहीं है। सेवा का उद्देश्य नागरिकों को विकास में योगदान देने में सक्षम बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे सक्षम नागरिक ही देश की प्रगति को आगे बढ़ाते हैं।
समाज में सब कुछ गलत होने की धारणा बढ़ती जा रही
भागवत ने कहा कि ऐसी धारणा बढ़ती जा रही है कि समाज में सब कुछ गलत हो रहा है। लेकिन प्रत्येक नकारात्मक पहलू के लिए, समुदाय में 40 गुना अधिक अच्छी और शानदार सेवा गतिविधियां हो रही हैं। इन सकारात्मक गतिविधियों के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी है क्योंकि सेवा ही समाज में स्थायी विश्वास को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा कि जब कोई स्थायी खुशी और संतुष्टि की पहचान करता है तब निस्वार्थ सेवा होती है। यह दूसरों की मदद करने की प्रवृत्ति को भी बढ़ाता है।