
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 06 फरवरी 2025। कांग्रेस ने गुरुवार को समान नागरिक संहिता को लागू करने, जनगणना नहीं कराने पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। वहीं गाजा के भविष्य को लेकर ट्रंप के फैसले को अस्वीकार्य बताया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि समान नागरिक संहिता स्थायी ध्रुवीकरण बनाए रखने के लिए राजनीतिक साधन नहीं बन सकता। जनगणना में देरी को लेकर उन्होंने कहा कि इसके शुरू न होने से कई सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों को नुकसान पहुंच रहा है। हाल ही में भाजपा ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू किया गया है। जबकि गुजरात में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया है। इस पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू समान नागरिक संहिता (UCC) खराब तरीके से तैयार किया गया कानून है। जो अत्यधिक दखलंदाजी करने वाला है। यह किसी भी तरह का कानूनी सुधार नहीं है, क्योंकि इसमें पारिवारिक कानून को लेकर उठाई गई चिंताओं का कोई समाधान नहीं है। यह भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे के हिस्से के रूप में जबरन थोपा गया है।
उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार ने समान नागरिक संहिता तैयार करने के लिए एक पैनल के गठन की घोषणा की है। यह घोषणा उत्तराखंड सरकार द्वारा हाल ही में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के बाद की गई है। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को इसमें छूट दी गई है। मोदी सरकार के 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को 182 पन्नों का पारिवारिक कानून में सुधार पर परामर्श पत्र प्रस्तुत किया था। उस परामर्श पत्र के पैरा 1.15 में कहा गया है कि भारतीय संस्कृति की विविधता को सराहा जा सकता है और सराहना किया जाना चाहिए, लेकिन इस प्रक्रिया में किसी विशिष्ट समूह या समाज के कमजोर वर्गों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संघर्ष के समाधान का मतलब सभी मतभेदों को खत्म करना नहीं है। इसलिए इस आयोग ने समान नागरिक संहिता प्रदान करने के बजाय उन कानूनों से निपटा है जो भेदभावपूर्ण हैं, क्योंकि वर्तमान समय में समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही उसकी जरूरत। अधिकांश देश अब विविधताओं को स्वीकार करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और केवल भिन्नता का अस्तित्व भेदभाव का संकेत नहीं देता, बल्कि एक सशक्त लोकतंत्र का प्रतीक है।
जयराम रमेश ने कहा कि इसके बाद 14 जून 2023 को प्रकाशित एक प्रेस नोट में 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के विषय की जांच करने के अपने इरादे को अधिसूचित किया। प्रेस नोट में स्पष्ट किया गया कि यह कार्य विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा भेजे गए संदर्भ पर किया जा रहा है। हालांकि 22वें विधि आयोग को समान नागरिक संहिता पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किए बिना 31 अगस्त 2024 को समाप्त कर दिया गया। 23वें विधि आयोग की घोषणा तीन सितंबर 2024 को की गई थी, लेकिन इसकी संरचना अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 को स्वीकार करते समय संविधान सभा ने भी यह कल्पना नहीं की होगी कि बाद में चलकर विभिन्न राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अलग-अलग समान नागरिक संहिताएं पारित की जाएंगी। अनेक समान नागरिक संहिताएं अनुच्छेद 44 की उस मूल भावना के विरुद्ध हैं, जिसमें भारत के संपूर्ण क्षेत्र में एक समान नागरिक संहिता की बात कही गई है। अनुच्छेद 44 के मुताबिक समान नागरिक संहिता वास्तविक आम सहमति बनाने के उद्देश्य से व्यापक बहस और चर्चा के बाद ही आ सकती है। यह देश को स्थायी तौर पर ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने के लिए बनाया गया राजनीतिक साधन नहीं बन सकती।
जनगणना को लेकर उठाए सवाल
कांग्रेस महासचिव ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि दशकीय जनगणना का अनावश्यक विलंब कई सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने एक खबर साझा की जिसमें कहा गया है कि दशकीय जनगणना 2021 से लंबित है। इसमें यह भी कहा गया है कि जनगणना के इस वर्ष भी होने की संभावना नहीं है क्योंकि देश में जन्म और मृत्यु पर कम से कम दो अन्य प्रमुख रिपोर्ट पिछले पांच वर्षों से केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी नहीं की गई हैं। रमेश ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि दशकीय जनगणना जो 2021 में होने वाली थी, लेकिन अभी तक शुरू नहीं की गई है। यह अनावश्यक विलंब कई सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों को नुकसान पहुंचा रहा है। जिनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण और खाद्य सुरक्षा अधिकार शामिल हैं।
गाजा के भविष्य को लेकर ट्रंप को घेरा
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि गाजा के भविष्य पर राष्ट्रपति ट्रंप के विचार विचित्र, खतरनाक और हर तरह से अस्वीकार्य हैं। पश्चिम एशिया में स्थायी शांति का एकमात्र आधार है- दो-राज्य समाधान, जो फलस्तीनी लोगों की स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीवन जीने की पूरी तरह से वैध आकांक्षाओं को पूरा करता है और साथ ही इस्राइल के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करता है। अमेरिका के राष्ट्रपति के इस विचार पर मोदी सरकार को अपनी प्रतिक्रिया बिल्कुल स्पष्ट करनी चाहिए। अन्य देशों की सरकारें पहले ही ऐसा कर चुकी हैं।