तिरुवनंतपुरम. सबरीमाला विवाद के बीच दर्शन करने पहुंची 10 महिलाओं को पुलिस ने वापस भेज दिया। 10 से 50 साल की इन महिलाओं को पुलिस ने पंबा में ही रोक लिया था। सभी महिलाएं आंध्र प्रदेश से आई थीं। मंडल पूजा उत्सव के लिए मंदिर के कपाट आज खुलेंगे। इससे पहले केरल सरकार ने कहा था कि वह पब्लिसिटी के लिए आने वाली महिलाओं का समर्थन नहीं करती। केरल के पर्यटन और देवस्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि सबरीमाला पूजा का स्थान है न कि प्रदर्शन का। यहां पर तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ताओं के लिए अपनी ताकत दिखाने के लिए कोई जगह नहीं है। इसलिए राज्य सरकार मंदिर में ऐसे किसी भी व्यक्ति के प्रवेश का समर्थन नहीं करेगी जो वहां सिर्फ लोकप्रियता के मकसद से आया है।
केरल सरकार ने यह स्पष्ट किया था कि सबरीमाला मंदिर के दर्शन करने की बात कहने वाली महिला सामाजिक कार्यकर्ता को पुलिस सुरक्षा नहीं दी जाएगी। मंत्री के. सुरेंद्रन ने कहा था कि हम उन्हें अंदर नहीं ले जाएंगे। वे कोर्ट का आदेश लेकर आएं।
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, केरल सरकार ने सबरीमाला विवाद पर कानूनी सलाह ली है। इसके मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर 2018 के फैसले को लागू करना जरूरी नहीं है, क्योंकि अपने ताजे फैसले में कोर्ट ने यह मामला बड़ी बेंच को भेजा है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और कानून सचिव की सलाह के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए बाध्य नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार इस बारे में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों से भी बात करेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने कहा था कि 2018 में सबरीमाला पर दिए फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। सरकार हमें सुरक्षा मुहैया कराए या नहीं, हम 20 नवंबर के बाद वहां जाएंगे। जो यह कहते हैं कि हमें पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट से आदेश लाना चाहिए। असल में वे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने गुरुवार को सबरीमाला पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले में कानूनी सलाह लेने का निर्णय लिया था। विजयन ने कहा था, “सुप्रीम कोर्ट जो कहेगा सरकार उसे लागू करेगी। हम समझते हैं कि 28 सितंबर 2018 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला अभी भी लागू है, लेकिन इस फैसले का निहितार्थ स्पष्ट नहीं हैं। हमें विशेषज्ञ की राय लेनी होगी। इसके लिए हमें और समय की आवश्यकता होगी।”
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने गुरुवार को सबरीमाला केस में पुनर्विचार याचिका 3:2 के बहुमत से सुनवाई के लिए 7 जजों की बेंच को भेजी। चीफ जस्टिस गोगोई, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस एएम खानविलकर ने केस बड़ी बेंच को भेजने का फैसला दिया। जस्टिस फली नरीमन और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पर असहमति जताते हुए आदेश जारी किया था। हालांकि, इस आदेश में 2018 में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने पर रोक नहीं लगाई गई।