
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 17 नवंबर 2021। मेजर शैतान सिंह और उनकी चार्ली कंपनी के 98 जवानों की ओर से 1962 के युद्ध में मिसाल पेश करने के 59 साल बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत गुरुवार को रेजांग ला के योद्धाओं की याद में नए स्मारक का उद्घाटन करने जा रहे हैं। 1962 के युद्ध में 13 कुमाऊं बटालियन की चार्ली कंपनी ने ही चीन के सैनिकों को नाकों चने चबवा दिए थे।
कहते हैं कि 18 नवंबर, 1962 को ही चीन ने दक्षिणी लद्दाख के रेजांग ला में हमला कर दिया था। उस समय चुशूल में 13 कुमाऊं रेजीमेंट तैनात थी और इसी के एक टुकड़ी, चार्ली कंपनी थी। इसकी अगुवाई मेजर शैतान सिंह कर रहे थे। चुशूल घाटी को उसके कम तापमान के लिए भी जाना जाता है। यहां तापमान माइनस 25 डिग्री सेल्सियस या उससे भी नीचे तक गिर जाता है। इस कंपकपाती ठंड में भी सिर्फ 100 भारतीय सैनिकों ने 400 से ज्यादा चीनी सैनिकों को खदेड़ने का काम किया था।
पहले की सरकारों ने इन योद्धाओं को सम्मान देने में समय लगाया और इसको लेकर पहला औपचारिक कार्यक्रम साल 2012 में हुआ था। वहीं, अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और जनरल बिपिन रावत न सिर्फ नए स्मारक का उद्घाटन करने जा रहे हैं बल्कि इसके तहत एक ऑडिटोरियम का भी उद्घाटन किया जाएगा, जिसमें युद्ध के शहीदों की तस्वीरें होंगी। हालांकि, रेजांग ला स्मारक पहले भी मौजूद था लेकिन अब इसका जीर्णोद्धार किया गया है।
1962 के युद्ध के दौरान चीनी सेना ने 18 नवंबर तड़के 4 बजे के करीब 1800 फीट की ऊंचाई पर सुनसान रेजांग ला पोस्ट पर हमला कर दिया था। चीन की मंशा लेह और चुशूल के बीच सड़क को बाधित करने की थी, ताकि चुशूल में भारतीय सेना के पास आपूर्ति रोकी जा सके। 18 नवंबर की रात 10 बजे भारतीय सेना की तरफ से चली आखिरी गोली की आवाज सुनी गई। भारत के पास वहां कुल 112 जवान थे। चीन ने दोनों ओर से पोस्ट पर हमला बोल दिया था और भारतीय सैनिकों ने उस समय बिना हथियार गोला-बारूद ही निहत्थे लोहा लिया।
यह युद्ध इतना कठिन था कि करीब एक साल बाद नवंबर 1963 में भारतीय रेड क्रॉस ने कई शव बरामद किए थे। रेजांग ला जाने वालों ने बताया कि कैसे वहां पूरा इलाका खून के निशानों से रंगा हुआ था, जिससे ये संकेत मिले कि युद्ध में चीनी सेना को भारी नुकसान पहुंचा था।