इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । राज्य सभा सदस्य के तौर पर मनोनयन को स्वीकार करने के बाद से आलोचनाओं का सामना कर रहे पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने गुरुवार को हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में खुद पर लगे आरोपों का बेबाकी से जवाब दिया। आरोपों को एक लॉबी द्वारा बदनाम करने की कोशिश करार देते हुए उन्होंने कहा कि आज जुडिशरी की आजादी खतरे में है। गोगोई ने कहा कि 5-6 लोगों की एक लॉबी की न्यायपालिका पर दमघोंटू जकड़ से न्यायिक स्वतंत्रता खतरे में है। अगर किसी जज ने इस लॉबी की इच्छा के मुताबिक फैसला नहीं दिया तो, ये उसे बदनाम और कलंकित करते हैं।
‘लॉबी की जकड़ से मुक्ति बिना जुडिशरी आजाद नहीं होगी’
जस्टिस गोगोई ने राज्यसभा के मनोनीत सदस्य के तौर पर शपथ लेने के कुछ घंटे बाद टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘जुडिशरी की आजादी का मतलब इस पर 5-6 लोगों की जकड़ को तोड़ना है। जब तक यह दम घोंटने वाली जकड़ नहीं तोड़ी जाएगी, न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती। उन्होंने जजों को एक तरह से बंधक बना लिया है। अगर किसी केस में उनके मनमाफिक फैसला नहीं हुआ तो वे जजों को हर मुमकिन तरीके से बदनाम करते हैं। मैं उन जजों को लेकर चिंतित हूं जो यथास्थितिवादी हैं, जो इस लॉबी से पंगा नहीं लेना चाहते और शांति से रिटायर होना चाहते हैं।’
‘लॉबी के सामने नहीं झुका, इसलिए बदनाम किया जा रहा’
गोगोई ने उन आलोचनाओं को सिरे से खारिज किया कि राज्यसभा में उनका मनोनयन अयोध्या और राफेल फैसले का ‘इनाम’ है। उन्होंने कहा कि उन्हें महज इसलिए बदनाम किया जा रहा है क्योंकि वह ‘लॉबी’ के सामने नहीं झुके। गोगोई ने कहा, ‘अगर कोई जज अपनी अंतरात्मा के हिसाब से केस का फैसला नहीं लेता है तो वह अपने शपथ को लेकर ईमानदार नहीं है। अगर कोई जज किसी केस का फैसला इस डर से करे कि 5-6 लोग क्या कहेंगे तो वह अपने शपथ के प्रति सच्चा नहीं है। मेरी अंतरात्मा ने जिस चीज को सही कहा उसी के हिसाब ने मैंने फैसले सुनाए। अगर ऐसा नहीं करता तो एक जज के तौर पर ईमानदार नहीं रह पाता।’
‘अयोध्या, राफेल फैसले सर्वसम्मत, आरोपों की मंशा खतरनाक’
अयोध्या और राफेल केस के फैसले का जिक्र करते हुए पूर्व सीजेआई ने कहा, ‘अगर अयोध्या फैसले की बात करें तो यह सर्वसम्मत था। 5 जजों की बेंच का सर्वसम्मत फैसला था। इसी तरह राफेल भी 3 जजों की बेंच का सर्वसम्मत फैसला था। क्विड प्रो क्वो का आरोप लगाकर क्या वे इन दोनों फैसले से जुड़े सभी जजों की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठा रहे हैं?’