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पटना 21 अक्टूबर 2022। आचार्य विनोबा भावे द्वारा शुरू किए गए भूदान आंदोलन के तहत दान की गई 1.60 लाख एकड़ जमीन 60 साल बाद सामने आई है। बिहार सरकार अब इस जमीन को भूमिहीनों के बीच वितरण की योजना तैयार कर रही है। बिहार सरकार के राजस्व और भूमि सुधार विभाग के सूत्रों ने के मुताबिक, 1.60 लाख एकड़ की पुष्टि के बाद इसके वितरण की प्रक्रिया इस साल दिसंबर के बाद शुरू होने की संभावना है। यह जमीन 1950 से 60 के दशक में दान की गई थी। सूत्रों ने बताया, राज्य भूदान समिति द्वारा जब इन जमीनों का प्रमाणीकरण किया जा रहा था, तो सामने आया कि इनके दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा पाया गया कि कुछ भूखंड वास्तव में नदी के तल, पहाड़ियों और जंगलों पर स्थित थे। अधिकारियों ने बताया, इन समस्याओं के कारण इन भूखंडों की पुष्टि में काफी देर हो गई। जो भूखंड उपयुक्त पाए गए हैं, उन्हें प्रक्रिया शुरू होने के बाद भूमिहीनों में समान रूप से वितरित कर दिया जाएगा।
दरअसल, भूदान आंदोलन के तहत राज्य में 6.48 लाख एकड़ भूमि सामने आई थी। हालांकि, इनके प्रबंधन, वितरण व अनियमितताओं के लिए 2017 में बिहार सरकार ने तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया था। ऐसे में भूदान समिति को इस आयोग की रिपोर्ट का इंतजार है। राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अशोक कुमार चौधरी की अध्यक्षता में गठित यह पैनल नवंबर में अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है।
1.60 लाख एकड़ भूमि वितरण के लिए उपयुक्त
बिहार के भूमि सुधार व राजस्व मंत्री आलोक कुमार मेहता ने पीटीआई को बताया कि भूदान आंदोलन के दौरान दान की गई लगभग 1.60 लाख एकड़ भूमि भूमिहीन लोगों के बीच वितरण के लिए उपयुक्त पाई गई है। सरकार ने राज्य के सभी 38 जिलों में भूमिहीन लोगों का सर्वेक्षण भी शुरू कर दिया है और यह इस साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। मेहता ने बताया, भूमि का वितरण निश्चित रूप से इस साल दिसंबर के बाद कभी भी शुरू हो सकता है। हालांकि, कुल 1.60 एकड़ की पुष्टि की गई भूमि में से रोहतास और कैमूर जिलों में लगभग 33,500 एकड़ कृषि उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।