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नई दिल्ली 29 नवंबर 2022। कॉलेजियम द्वारा जजों के प्रस्तावित नामों को रोके जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सख्त टिप्पणी की है। इसके बाद टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सरकार की हमला बोला है। महुआ ने एक ट्वीट में कहा है कि कॉलेजियम की सिफारिशों को रोका जाना भाजपा की कट्टरता और बदले की भावना को दिखाता है।
महुआ मोइत्रा ने अपने ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पोस्ट करते हुए लिखा, एक बार कॉलेजियम ने सिफारिश कर दी तो बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए। उन्होंने आगे लिखा, केंद्र द्वारा 11 नामों को मंजूरी न देना, महत्वपूर्ण न्यायिक नियुक्तियों में भी भाजपा के होमोफोबिया, कट्टरता और बदले की भावना को दर्शाता है। यह शर्म की बात है।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम के भेजे नाम रोके जाने पर नाराजगी जताई थी। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि इस रवैये से न्यायिक प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है। ऐसे में आपको कानून तो मानना ही होगा। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने सोमवार को कहा था कि तीन सदस्यीय पीठ ने जजों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक समयसीमा तय की है। इसका पालन होना ही चाहिए, पर ऐसा हो नहीं रहा। जस्टिस कौल ने कहा, हमने कई बार इसको लेकर नाराजगी भी जताई है।
बिगड़ता है वरिष्ठता का क्रम
पीठ ने कहा था कि कई बार सरकार सिफारिश वाले नामों में से बस एक को ले लेती है। इससे वरिष्ठता का पूरा क्रम बिगड़ जाता है। कॉलेजियम वरिष्ठता को ध्यान में रखकर नामों की सिफारिश करता है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को चेतावनी भी दी थी कि दो महीने से पूरी प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है। इस मसले को हल करें। हमें इस पर न्यायिक तौर से फैसला लेने पर विवश न करें।