इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । कोरोना के चलते लागू हुए लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के करीब 1.60 लाख से अधिक जवानों और अफसरों की वापसी अब एक चुनौती बन गई है। कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का सुरक्षा चक्र न टूटे, इसके मद्देनजर लॉकडाउन से पहले ही छुट्टी पर चल रहे जवानों को उनके मोबाइल फोन पर सूचित किया गया था कि वे जहां भी हैं, वहीं रहें।
कई बलों ने छुट्टियां बढ़ाईं
पहले उन्हें 15 अप्रैल तक ज्वाइनिंग नहीं करने के लिए कहा गया था, बाद में कई बलों ने यह तिथि आगे बढ़ा दी। बीएसएफ ने 21 अप्रैल तक जवानों की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। तो सीआरपीएफ और दूसरे बलों ने भी छुट्टियां आगे बढ़ाने के आदेश जारी कर दिए।अब यह कहा जा रहा है कि लॉकडाउन पीरियड आगे बढ़ सकता है। ऐसे में इन जवानों की वापसी में कोरोना वायरस बाधा बन गया है। इसके लिए कई बलों के कमांडर माथापच्ची में लगे हैं। बता दें कि सोशल डिस्टेंसिंग का नियम लागू होने से पहले या उसके दौरान विभिन्न बलों में अनेक जवान और अधिकारी छुट्टी गए हुए थे। अधिकांश जवान ऐसे थे, जिन्हें 22 मार्च के बाद ज्वाइन करना था, लेकिन इस बीच कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा था। ऐसे में जवानों का रोड ट्रांसपोर्ट या रेल यात्रा करना एक जोखिम भरा कदम हो सकता था। यही वजह रही कि छुट्टी पर गए सभी जवानों को यह संदेश भिजवा दिया गया कि वे 15 अप्रैल तक वहीं रहें। इसके बाद 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू हो गया। केंद्रीय सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चूंकि अभी रोड ट्रांसपोर्ट और दूसरे संसाधन पूरी तरह बंद हैं, इसलिए जवानों को वापस कैसे बुलाएं। साथ ही अब ये संभावना बन रही है कि कोरोना के बढ़ते केसों की वजह से लॉकडाउन पीडियड आगे बढ़ाया जाएगा। ऐसे में जवानों की वापस कैसे संभव होगी, इस पर बल के प्रमुख कमांडर बैठक कर रहे हैं। देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ के डीजी डॉ. एपी महेश्वरी ने शनिवार को बल के स्पेशल डीजी और एडीजी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस मामले पर चर्चा की है।
इस तरह के विकल्पों पर हुई चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बैठक में कई विकल्पों पर विचार किया गया। जैसे कि जवानों को उनके घर से लेकर निकटवर्ती रेलवे स्टेशन तक कैसे लाया जाए। इसके बाद स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की जाएगी। चूंकि यह फोर्स देश के तकरीबन सभी हिस्सों में तैनात है, इसलिए स्पेशल ट्रेन का इंतजाम होने में दिक्कत नहीं आएगी। ट्रेन को सैनिटाइज कर दिया जाएगा। ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से सीटें अलॉट हो सकती हैं। इसके बाद यह चर्चा हुई कि किस राज्य में अधिक जवान फंसे हैं। सामने आया कि केंद्रीय सुरक्षा बलों में जवानों की एक बड़ी संख्या यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान व दक्षिण भारत के राज्यों से आती हैं।यहां पर ट्रेन का इंतजाम हो सकता है। उसके बाद जवान को स्टेशन से अपने ड्यूटी स्थल तक कैसे लाया जाएगा, ये सवाल भी उठा। इस विकल्प पर भी बात हुई कि जवानों को उनके निकटवर्ती किसी इकाई में ज्वाइन करा दिया जाए। बाद में स्थिति सामान्य होने पर वे जवान अपनी मूल यूनिट में ज्वाइन कर सकते हैं।
जवानों को चिंता सता रही है कि ये छुट्टियां कौन से खाते से कटेंगी…
दूसरे केंद्रीय बलों में भी ऐसे ही विकल्पों पर विचार हो रहा है। बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआईएसएफ, एसएसबी, एनएसजी और असम राइफल में भी निकटवर्ती किसी यूनिट में ज्वाइन कराने के विकल्प पर चर्चा शुरू हो गई है।सारे विकल्पों पर विचार करने के बाद जो अंतिम निर्णय हो, उसे 15 अप्रैल के बाद लागू कर दिया जाए। जवानों की एक चिंता यह भी है कि अब उनकी जो छुट्टियां बढ़ाई गई हैं, उन्हें किस खाते में जोड़ा जाएगा।यानी वे कैजुअल लीव में जुड़ेगी या कोई अन्य स्पेशल प्रावधान होगा। अगर कैजुअल में जुड़ती हैं तो अधिकांश छुट्टियां अभी खत्म हो जाएंगी। बता दें कि सभी बलों में उनकी कुल संख्या का करीब 20 फीसदी स्टाफ छुट्टी पर हैं।