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नई दिल्ली 25 सितम्बर 2023। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि तीन प्रस्तावित आपराधिक कानून जन-केंद्रित हैं और इनमें भारतीय मिट्टी की महक है तथा इनका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक, मानवीय और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने यह भी कहा कि इन तीनों विधेयकों का दृष्टिकोण सजा देने के बजाय न्याय प्रदान करना है। उन्होंने देश के सभी वकीलों से भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस-2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस-2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए-2023) के बारे में सुझाव देने की अपील की ताकि देश को सर्वश्रेष्ठ कानून मिले और सभी को इसका लाभ हो। लोकसभा में गत 11 अगस्त को पेश किए गए तीन विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता, 1860; दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की जगह लेंगे।
गृह मंत्री ने कहा, “भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली पर औपनिवेशिक कानून की छाप थी। तीनों नए विधेयकों में औपनिवेशिक छाप नहीं है, बल्कि भारतीय मिट्टी की महक है। इन तीन प्रस्तावित कानूनों का केंद्रीय बिंदु नागरिकों के साथ-साथ उनके संवैधानिक और मानवाधिकारों की तथा व्यक्तिगत अधिकारों की भी रक्षा करना है।” शाह ने कहा कि वर्तमान समय की मांग को ध्यान में रखते हुए आपराधिक कानूनों में व्यापक बदलाव की पहल की गई है। उन्होंने कहा, “ये कानून लगभग 160 वर्षों के बाद पूरी तरह से नए दृष्टिकोण और नयी प्रणाली के साथ आ रहे हैं। नयी पहल के साथ-साथ कानून-अनुकूल परिवेश बनाने के लिए सरकार द्वारा तीन पहल भी की गई है।” शाह ने कहा कि पहली पहल ई-कोर्ट, दूसरी पहल अंतर-उपयोगी आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) और तीसरी पहल इन तीन प्रस्तावित कानूनों में नयी तकनीक जोड़ने की है। उन्होंने कहा, “तीन कानूनों और तीन प्रणालियों की शुरुआत के साथ, हम एक दशक से भी कम समय में अपनी आपराधिक न्याय प्रणाली में देरी को दूर करने में सक्षम होंगे।” शाह ने कहा कि पुराने कानूनों का मूल उद्देश्य ब्रिटिश शासन को मजबूत करना था और उद्देश्य दंड देना था, न्याय करना नहीं।
उन्होंने कहा, “इन तीन नए कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रदान करना है, सज़ा देना नहीं। यह आपराधिक न्याय प्रदान करने का एक कदम है।” गृह मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए नए कानूनों में कई बदलाव किए गए हैं और दस्तावेजों की परिभाषा का काफी विस्तार किया गया है। उन्होंने कहा, “इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता दे दी गई है, डिजिटल उपकरणों पर उपलब्ध संदेशों को मान्यता दी गई है तथा एसएमएस से लेकर ईमेल तक सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे जाने वाले समन को भी वैध माना जाएगा।” गृह मंत्री ने कहा कि भीड़ द्वारा हत्या किए जाने (मॉब लिंचिंग) के संबंध में एक नया प्रावधान जोड़ा गया है और राजद्रोह से संबंधित धारा को समाप्त कर दिया गया है तथा सामुदायिक सेवा को वैध बनाने का काम भी इन नए कानूनों के तहत किया जाएगा। उन्होंने कहा, “मैं देश भर के सभी वकीलों से अपील करना चाहता हूं कि वे इन सभी विधेयकों का विस्तार से अध्ययन करें। आपके सुझाव बहुत मूल्यवान हैं। अपने सुझाव केंद्रीय गृह सचिव को भेजें और हम कानूनों को अंतिम रूप देने से पहले उन सुझावों पर निश्चित रूप से विचार करेंगे।” शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि कोई भी कानून तभी सही बन सकता है, जब हितधारकों के साथ दिल से विचार-विमर्श किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ण न्याय की व्यवस्था को तभी समझा जा सकता है जब कोई उन कानूनों का अध्ययन करे, जो समाज के हर हिस्से को छूते हों।