इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 10 मार्च 2024। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शनिवार को कहा कि महिलाएं पुरुषों से श्रेष्ठ और सक्षम हैं। उन्हें आरक्षण आधारित धारणाओं को स्वीकार नहीं करना चाहिए। ‘कानूनी क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धि’ कार्यक्रम में मेहता ने कहा कि महिलाएं जिसकी हकदार हैं वो उन्हें बिना आरक्षण भी प्राप्त कर सकती हैं।
कानूनी पेशे में जगह पाने के लिए महिलाओं ने संघर्ष किया
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, यदि किसी विशेष क्षेत्र में गुजरातियों की संख्या कम है और गुजराती होने के नाते यदि मुझे कुछ मिलता है तो यह मेरा सम्मान नहीं होगा। अगर मैं सक्षम हूं तो मुझे यह मिल ही जाएगा और यही बात महिलाओं पर लागू होती है। सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म्स (एसआईएलएफ) और एसआईएलएफ लेडीज ग्रुप (एसएलजी) की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि महिलाओं ने कानूनी पेशे में जगह पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है। मेहता ने कहा कि महिलाएं पहले से ही कई मामलों में पुरुषों से आगे हैं।
केवल एक महिला प्रधानमंत्री आपातकाल के लिए पर्याप्त थी
मेहता ने कहा, मेरा मानना है कि जो महिलाएं पुरुषों के बराबर बनना चाहती हैं, उनमें महत्वाकांक्षा की कमी है। क्योंकि आप पहले ही पुरुषों से आगे हैं। आपको खुद को नीचा क्यों दिखाना चाहिए और पुरुषों के बराबर होने का प्रयास क्यों करना चाहिए? उन्होंने देश के प्रधानमंत्री का उदाहरण दिया और कहा यदि आप संख्या देखेंगे तो महिला प्रधानमंत्री की संख्या बहुत कम है। लेकिन केवल एक महिला प्रधानमंत्री आपातकाल के लिए पर्याप्त थी। इस्राइल में एक गोल्डा मेयर ही काफी थीं। ब्रिटेन में एक मार्गरेट थैचर ही काफी थीं। कॉर्नेलिया सोराबजी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ी और वह भारतीय बार में वकील के रूप में नामांकित होने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उन्होंने अपनी योग्यता की बदौलत यह मुकाम हासिल किया।