अब पाक ड्रोन की नहीं चलेगी चालाकी, दुश्मन की हर हरकत पर नजर; सीमा सुरक्षा को मिला नया डिजिटल सिपाही

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

जम्मू 20 मई 2025। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से भारतीय सीमा में हुए ड्रोन हमलों ने एक बार फिर देश की सुरक्षा व्यवस्था को चौकन्ना कर दिया है। लेकिन अब ऐसी हवाई घुसपैठ को रोकने के लिए आईआईटी जम्मू ने एक बड़ी तकनीकी छलांग लगाई है। यहां के इंजीनियरों ने ऑडियो और वीडियो आधारित ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम तैयार किया है, जो न केवल ड्रोन की आवाज से अलर्ट देगा, बल्कि कैमरे के जरिए उसकी लोकेशन और गतिविधि को स्क्रीन पर भी दिखाएगा। पहले यह डिवाइस सिर्फ 300 मीटर के दायरे में काम करता था, लेकिन अब इसकी रेंज बढ़ाकर एक किलोमीटर कर दी गई है। इसमें विजुअल डिटेक्शन फीचर जोड़ा गया है, जिससे उड़ते ड्रोन ही नहीं, बल्कि झाड़ियों में छिपे किसी व्यक्ति की हलचल भी पकड़ी जा सकेगी। साथ ही यह स्वार्म ड्रोन यानी झुंड में आने वाले ड्रोन की भी सटीक पहचान कर सकता है। यह सिस्टम हेरोइन, हथियार और अन्य अवैध सामग्री की तस्करी रोकने में सुरक्षा एजेंसियों के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।

एआई का इस्तेमाल, स्क्रीन पर दिखेगा खतरा
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. करन नाथवानी की टीम ने इसे सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। उनके अनुसार, कैमरे और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई ) की तकनीक जुड़ने से अब डिवाइस की सटीकता काफी बढ़ गई है और फॉल्स अलार्म यानी झूठे या मिस्ड अलर्ट की संभावना बहुत कम हो गई है।

इस डिवाइस में माइक्रोफोन, रिकॉर्डर, कैमरा, एआई एल्गोरिद्म और एलईडी इंडिकेटर लगाए गए हैं। जैसे ही कोई उड़न यंत्र या हलचल डिवाइस की रेंज में आती है, यह तुरंत पहचान कर अलग-अलग रंगों की एलईडी लाइट से अलर्ट देता है। साथ ही स्क्रीन पर उसका लाइव ट्रैक भी दिखाता है। यह ड्रोन, एक से अधिक ड्रोन, एयरक्राफ्ट और पक्षियों तक की स्पष्ट पहचान कर सकता है। डिवाइस पूरी तरह से बनकर तैयार है और वर्तमान में कई जगहों पर ट्रायल के तौर पर इसका इस्तेमाल हो रहा है। सेना भी इसमें रुचि दिखा रही है 

आईआईटी जम्मू के शोधार्थियों की पहल
स्टार्टअप भी लांच, आम लोग भी खरीद सकते हैं डिवाइसडॉ करन नथवानी ने बताया कि उन्होंने आईआईटी जम्मू के शोधार्थी मुर्तजा अली के साथ मिलकर ”जीवाश प्राइवेट लिमिटेड” नाम से एक स्टार्टअप भी लांच किया है। इसी के जरिए यह डिवाइस तैयार किया जाएगा। इसकी कीमत लगभग 5 से 6 लाख रुपये होगी। यह डिवाइस न केवल सुरक्षा एजेंसियां, बल्कि कोई भी प्रतिष्ठान या आम नागरिक भी खरीद सकता है।

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