पति की मौत के बाद बीवियों ने ठोका दावा
बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर कोर्ट में दो पत्नियों के बीच पेंशन और संबंधित विभाग से मिलने वाले आर्थिक लाभ का मामला पहुंचा। दरअसल, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड में काम करने वाले एक कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी दो पत्नियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। परिवार पेंशन और विभाग से मिलने वाले आर्थिक लाभ के लिए दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय। के। अग्रवाल के सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट के आदेश को यथावत रखते हुए प्रथम अपीलीय कोर्ट के आदेश को नियम के विरुद्ध ठहराते हुए निरस्त कर दिया है।
पति की 26 जून वर्ष 2009 में हो गई थी मौत
हाईकोर्ट जस्टिस संजय। के। अग्रवाल के सिंगल बेंच ने निर्णय देते हुए कहा कि मृत कर्मचारी की दूसरी पत्नी परिवार पेंशन प्राप्त करने की हकदार नहीं है। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड में काम करने वाले जयराम प्रसाद राठौर की मौत बीते 26 जून वर्ष 2009 में हो गई थी। इसके बाद उसकी दोनों पत्नी पेंशन और विभाग से मिलने वाले आर्थिक सहयोग के लिए अपना अपना दावा ठोक दिया।
पहली पत्नी के पक्ष में फैसला आने पर दूसरी ने अपीलीय कोर्ट में की अपील
मामला कोर्ट में गया, जहां ट्रायल कोर्ट ने पहली पत्नी नान बाई के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दूसरी पत्नी मीना बाई को पेंशन का हकदार नहीं माना। इस फैसले को दूसरी पत्नी मीना बाई ने अपीलीय कोर्ट में अपील की। इसमें उसने बताया कि उसकी शादी सन् 1978 में हुई थी, इसलिए वह पेंशन व बाकी सुविधाओं के लिए पूरी तरह से पात्र है। अपीलीय कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उसके पक्ष में फैसला सुना दिया और उसे आर्थिक सहयोग में 50 प्रतिशत का हकदार मानते हुए पेंशन देने का आदेश दिया।
पहली पत्नी ने हाईकोर्ट में दे दी चुनौती
इस फैसले को पहली पत्नी नान बाई ने हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए अपील याचिका प्रस्तुत की। इसमें तर्क दिया गया कि पहली पत्नी और पहले विवाह के अस्तित्व में रहते हुए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दूसरा विवाह अमान्य होता है। पहली पत्नी ने अपीलीय कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग की।
पहली पत्नी के पक्ष में हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला
मामले में जस्टिस संजय। के। अग्रवाल ने अपीलीय कोर्ट के आदेश को विधि विरुद्ध ठहराते हुए निरस्त करते हुए कहा कि पहली पत्नी के रहते दूसरी पत्नी परिवार पेंशन प्राप्त करने की हकदार नहीं है।