जमशेदपुर/रांची : भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने जमशेदपुर से चुनाव लड़ने का एलान कर दिया. उन्होंने एक नहीं दो-दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है. रविवार को जमशेदपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री राय ने स्पष्ट कर दिया कि वह जमशेदपुर पूर्वी और जमशेदपुर पश्चिमी दोनों सीटों से चुनाव लड़ेंगे. शनिवार को श्री राय ने अपने पत्ते नहीं खोले थे, लेकिन उनके द्वारा दो-दो नामांकन पत्र खरीदे जाने की सूचना ने संकेत दे दिया था कि झारखंड के इस मंत्री ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को उनके ही गढ़ में चुनौती देने की तैयारी कर ली है.
संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सरयू राय ने कहा कि पार्टी ने एक फैसला किया है. इस फैसले से न दुखी होना है, न खुश होना है. अब एक निर्णय लेना है. बड़ी लकीर खींचनी है. उन्होंने कहा कि वह जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी दोनों सीटों से चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कि भय और आतंक का माहौल बना दिया गया है. इस माहौल को बदलने की जरूरत है.
श्री राय ने कहा कि वह जमशेदपुर की 86 बस्ती के लोगों को मालिकाना हक दिलाने के लिए अब खुलकर लड़ाई लड़ेंगे. टेल्को में बार-बार होने वाली हड़ताल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करेंगे. उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों में भी टेल्को की इकाइयां हैं, लेकिन सिर्फ जमशेदपुर में बार-बार ब्लॉक क्लोजर होता है. महीने में करीब 20-25 दिन यहां प्लांट बंद रहता है.
यह पूछने पर कि वह दो-दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे, तो चुनाव अभियान को मैनेज करे कर पायेंगे, इस पर सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर पूर्वी का चुनाव वह वहां के लोगों के साथ मिलकर लड़ेंगे. जमशेदपुर पश्चिम में उनके कार्यकर्ता उनकी ओर से चुनाव लड़ेंगे. कार्यकर्ताओं ने उन्हें आश्वस्त किया है कि उन्हें जमशेदपुर पश्चिम में झांकने की भी जरूरत नहीं है. श्री राय ने कहा कि जमशेदपुर पूरब के लोगों ने उनसे कहा कि वे उन्हें वोट भी देंगे और नोट भी देंगे.
शनिवार सुबह टेल्को स्थित भुवनेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद सरयू राय ने कहा था कि वह पार्टी के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. वह पार्टी के सिपाही हैं और पार्टी जो कहती रही है, वह करते रहे हैं. वर्ष 2005 में पार्टी ने उन्हें जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ने के लिए कहा, तो वह चुनाव लड़े. पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाया, तो उसकी भी जिम्मेवारी उन्होंने पूरी शिद्दत से निभायी. हालांकि, शनिवार की शाम तक यह संकेत आने लगे थे कि सरयू राय दोनों सीटों से पर्चा दाखिल कर सकते हैं.
खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने कहा कि वह वर्ष 2006 से 86 बस्ती को मान्यता देने का मुद्दा उठाते रहे हैं. वर्ष 2007 में उन्होंने एक प्रस्ताव किया था, लेकिन किसी ने उनका साथ नहीं दिया. श्री राय ने कहा कि उनकी ही पार्टी के साथी बस्ती विकास समिति बनाकर 86 बस्ती को मालिकाना हक दिलाने की लड़ाई वर्षों से लड़ रहे थे. अन्य दलों को कोस रहे थे. पार्टी जब सत्ता में आयी, तो सरकार ने साफ कह दिया कि वे मालिकाना हक नहीं दे सकते. उन्होंने पूछा कि जब देश भर के लोगों को प्रधानमंत्री उनका हक दिला सकते हैं, तो झारखंड की सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती.
सरयू राय ने कहा कि जमशेदपुर में भय और आतंक का माहौल है. उन्होंने सत्ता में रहकर इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि सत्ता में रहने पर एक मर्यादा होती है. एक सीमा के भीतर ही विरोध कर सकते हैं. ऐसा नहीं करने पर लोग तरह-तरह के सवाल करने लगते हैं. उन्होंने कहा कि इस भय और आतंक के खिलाफ उन्होंने सरकार को चिट्ठियां लिखीं. प्रशासन को चेताया. कई लोगों को राहत भी दिलवायी. उन्होंने कहा कि शासन, प्रशासन को भयमुक्त होकर काम करना चाहिए.
सरयू राय ने कहा कि अब वह मजदूरों की आवाज बुलंद करेंगे. उनका हक दिलाने के लिए खुलकर आंदोलन करेंगे. कहा कि वह पहले भी मजदूरों के पक्ष में आवाज उठाते रहे हैं. सरकार में होने की वजह से प्रत्यक्ष रूप से उनके आंदोलन में शामिल नहीं हो पाते थे, अब वो बंधन खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि जमशेदपुर से लोग पलायन कर रहे हैं. यह एक अहम मुद्दा है.