इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 30 अगस्त 2021। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोरोना ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया है और यह “दिल दहला देने वाला” है कि महामारी के दौरान माता-पिता या माता-पिता दोनों को खोने वाले बच्चों का अस्तित्व दांव पर है। कोर्ट ने हालांकि केंद्र और राज्यों द्वारा प्रदान की जाने वाली योजनाओं पर संतोष व्यक्त किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कार्यकारी द्वारा उन बच्चों की पहचान करने में “संतोषजनक प्रगति” की गई है जो या तो अनाथ हो गए हैं या COVID-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता में से एक को खो दिया है। कोर्ट ने कहा, “हमें खुशी है कि केंद्र और राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों ने जरूरतमंद बच्चों को सहायता प्रदान करने के लिए योजनाओं की घोषणा की है। हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि संबंधित अधिकारी तत्काल बुनियादी सुविधाओं में भाग लेने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”
जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की पीठ इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि एक लाख से अधिक बच्चों ने महामारी के दौरान माता-पिता दोनों या फिर किसी एक को खो दिया है। पीठ ने कहा, “प्रलयकारी महामारी के कारण हुई तबाही ने कई लोगों की जान ले ली है। कम उम्र में बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है।” पीठ ने कहा, “यह ध्यान देने योग्य है कि इतने सारे बच्चों का जीवित रहने पर दांव लगा हुआ है।
कोर्ट ने कहा कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) द्वारा किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अनुसार उन बच्चों की पहचान करने के लिए जांच तेज करनी होगी जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी तत्काल कदम उठाने होंगे कि योजनाओं का लाभ जरूरतमंद नाबालिगों तक पहुंचे। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का संवैधानिक अधिकार है और बच्चों के लिए शिक्षा की सुविधा के लिए राज्य का कर्तव्य और दायित्व है। पीठ ने 26 अगस्त के अपने आदेश में कहा, “हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि राज्य असहाय बच्चों की शिक्षा जारी रखने के महत्व को समझता है।
पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की इस दलील पर गौर किया कि ‘पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत 18 साल तक के पात्र बच्चों की शिक्षा मुहैया कराने की बात कही गई है। भाटी ने पीठ को बताया कि इस योजना के तहत लाभ के लिए पात्र 2,600 बच्चों को राज्यों द्वारा पंजीकृत किया गया है और इनमें से 418 आवेदनों को जिलाधिकारियों द्वारा अनुमोदित किया गया है। पीठ ने जिलाधिकारियों को उन शेष बच्चों के आवेदनों के अनुमोदन की प्रक्रिया को पूरा करने का निर्देश दिया, जिनके नाम ‘पीएम केयर्स’ योजना के लिए पंजीकृत किए गए हैं।