इंडिया रिपोर्टर लाइव
रायपुर. दंतेवाड़ा में बैलाडीला पर्वत श्रृंखला के नंदाराज पहाड़ पर स्थित 13 नंबर डिपोजिट के लिए हुई ग्राम सभा की जांच रिपोर्ट दंतेवाड़ा के कलेक्टर टोपेश्वर ने शासन को सौंप दिया है. जांच रिपोर्ट में इस खदान के लिए हुई ग्राम सभा को फर्जी करार देते हुए पूरी प्रक्रिया को शून्य घोषित कर दिया गया है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 जुलाई 2014 को ग्राम हिरोली में ग्राम सभा हुई ही नहीं थी.
पिछले साल डिपोजिट नंबर 13 पर स्थिति नंदराज पहाड़ में खनन के विरोध में वहां के करीब 25 हज़ार ग्रामीणों ने आंदोलन किया था. ग्रामीणों का आरोप था कि डिपोजिट नंबर 13 के लिए ग्राम हिरोली में वो ग्रामसभा हुई ही नहीं थी, जिसके आधार पर शासन ने यहां खनन की अनुमति दी थी. आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां खनन के काम को रुकवाते हुए जांच के आदेश दिये थे. राज्य सरकार के निर्देश के बाद एसडीएम ने इस मामले की जांच पांच बिंदुओं पर की.रिपोर्ट में सबसे बड़ा खुलासा इस बात का हुआ है कि ग्राम हिरोली के ग्रामसभा की कार्रवाई की पंजी में जिन लोगों के दस्तखत या अंगूठे के निशान हैं. उनमें से 8 लोगों की मौत 4 जुलाई 2014 से पहले ही हो चुकी थी. जबकि 12 लोगों के बयान, हस्ताक्षर या अंगूठा के निशान में अंतर की आशंका जताई गई है. हांलाकि जांच कमेटी ने कहा है कि इसकी पुष्टि फॉरेंसिक रिपोर्ट से ही हो सकती है.जांच में सीईओ दंतेवाड़ा शिव कुमार टंडन ने बताया कि 15 मई को ग्राम हिरोली और भांसी की करीब 1060 हैक्टेयर भूमि का एनएमडीसी को लीज़ में देने के पंचायत से प्रस्ताव प्राप्त करने के निर्देश मिले थे. लेकिन इसे बुलाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
जांच में ग्रामीणों ने अपने बयान में बताया कि उन्हें 4जुलाई 2015 के ग्राम सभा की जानकारी ही नहीं है. जबकि तात्कालीन सचिव बसंत कुमार नायक ने बताया कि पहली बैठक 1 जुलाई को बुलाई गई थी. लेकिन एक तिहाई लोगों के न आने के चलते दूसरी बार 4 जुलाई को हुई. जबकि इस मामले में नियमत: इसकी सूचना किसी को देने की बात सामने आई है. यही नहीं तात्कालीन सरपंच बुधऱी कुंजाम ने 4 जुलाई को किसी ग्राम सभा के आयोजन से इनकार कर दिया है.जांच में पाया गया कि शासन की ओर से बताया गया कि 4 जुलाई को ग्राम सभा सरपंच की अध्यक्षता में हुआ. जिसका खंडन खुद सरंपच कर रही हैं. इसके अलावा अनुसूचित क्षेत्रों की ग्रामसभाओं की अध्यक्षता सरपंच नहीं कर सकता. बल्कि ग्रामसभा में ही अध्यक्ष तय किया जाता है.