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नई दिल्ली 16 सितंबर 2022। रूसी हमले के बाद यूक्रेन से लौटे हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों की उम्मीदों को करारा झटका लगा है। कानून के अभाव में इन स्टूडेंट्स को देश के मेडिकल कॉलेजों में शामिल नहीं किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक, अब तक राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) की ओर से किसी भी भारतीय चिकित्सा संस्थान/विश्वविद्यालय में एक भी विदेशी मेडिकल छात्र को ट्रांसफर करने या शामिल करने की अनुमति नहीं दी गई है।
हलफनामे के अनुसार, विदेशी मेडिकल कॉलेज/यूनिवर्सिटी में पहले से चौथे वर्ष के बैच के ऐसे मेडिकल छात्र हैं, जो अपने संबंधित सेमेस्टर में भारतीय मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर की मांग कर रहे हैं। जहां तक ऐसे छात्रों का संबंध है, भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 या राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम, 2019 के साथ-साथ मेडिकल छात्रों को किसी भी संस्थान से शामिल या ट्रांसफर करने का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही विदेशी चिकित्सा संस्थानों/कॉलेजों से भारतीय चिकित्सा कॉलेजों में ट्रांसफर के लिए ऐसा कोई प्रावधान नहीं हैं।
छात्रों के सहयोग के लिए विदेश मंत्रालय का नोटिस
इसमें कहा गया है कि यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी न कर पाने वाले विद्यार्थियों के सहयोग के लिए एनएमसी ने विदेश मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। इसमें संकेत दिया गया है कि आयोग यूक्रेन की मूल संस्था की अनुमति से अन्य देशों में बचे सिलेबस को पूरा करने वाले स्टूडेंट्स के सर्टिफिकेट को स्वीकार करेगा।
शुक्रवार को इस मामले पर होनी है सुनवाई
सरकार ने कहा कि भारतीय मेडिकल कॉलेजों में यूक्रेन से लौटे विद्यार्थियों के ट्रांसफर या शामिल करने से जुड़ी प्रार्थना पर छूट नहीं दे सकते हैं। यह न केवल भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन करेगी, बल्कि देश में चिकित्सा शिक्षकों के मानकों को भी गंभीर रूप से बाधित करेगी। जस्टिस हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली बेंच शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार को कहा था कि वह इन मेडिकल छात्रों को शामिल करने को लेकर अपनी नीति को रिकॉर्ड पर रखे।