इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली । लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले मजदूरों को आर्थिक मदद देने और सुरक्षित उनके घर पहुंचाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार के माम में दखल देने से इनकार करर दिया. मुख्य न्यायाधीश बोबड़े ने कहा कि अभी के काम में दखल नहीं दे सकते. महामारी के इस दौर में सरकार को उसका काम करने देना चाहिए ।
पलायन करने वाले मजदूरों के मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सरकार ने हलफनामा देकर बताया है कि मजदूरों को भोजन और जरूरी सामान दे रहे हैं. गृह मंत्री खुद हालात पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने कहा है कि मजदूरों के लिए आगे और कदम उठाए जाएंहगें. कोर्ट ने कहा कि महामारी के इस दौर में सरकार को उसका काम करने देना चाहिए हम सरकार के काम में अगले 10-15 दिन तक कोई दखल नहीं देना चाहते. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप सरकार के हलफनामे को देखें. कोर्ट मामले की अगली सुनवाई सोमवार को करेगा. इससे पहले शनिवार सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन की वजह से हुए मजदूरों की पलायन से जुड़ी एक याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि लाखों लोगों के पास लाखों विचार हैं. हम सभी के विचार नहीं सुन सकते और इसके लिए सरकार को बाध्य नहीं कर सकते. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें होटल और रिसॉर्ट्स का इस्तेमाल प्रवासी मजदूरों के लिए किए जाने की मांग की गई थी ।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका में दलील दी गई थी कि शेल्टर होम में पर्याप्त स्वच्छता और सुविधा नहीं मिल पा रही है. इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि पीआईएल की दुकानों को बंद करना चाहिए. जिसको असल में मदद करनी होती है, वह जमीन पर काम करता है. एसी कमरों में बैठना और जनहित याचिका दाखिल करने से कोई फायदा नहीं होता. अगर अदालत प्रवासियों और मजदूरों पर विस्तृत रिपोर्ट चाहती है तो हम दायर करेंगे. तुषार मेहता ने कहा कि मजदूरों के पलायन के मसले पर अदालतों से विशेष निर्देशों की कोई आवश्यकता नहीं है. राज्य सरकारें पहले से ही आवश्यकतानुसार भवन, स्कूल, होटल आदि में व्यवस्था कर रही हैं. अगर जरूरत हुई तो हम और भी प्रबंध करेंगे ।