
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 07 फरवरी 2023। असम में बाल विवाह के खिलाफ बड़े पैमाने पर पुलिस अभियान जारी है। इस बीच, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जीपी सिंह ने बातचीत में इस मामले में जानकारी दी। उन्होंने मंगलवार को कहा कि असम में बाल विवाह के मामलों में गिरफ्तारियों की संख्या 2,500 को पार कर गई है। अब सबसे बड़ी चुनौती समय सीमा के अंदर चार्जशीट दाखिल करना है। पीटीआई से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि पुलिस का किसी को परेशान करने का कोई उद्देश्य नहीं है। हमारा लक्ष्य है कि अगले दो-तीन साल के भीतर राज्य में बाल विवाह को पूरी तरह से रोकना है। सिंह ने कहा, ‘हमने बाल विवाह से जुड़े मामलों में अब तक 4,074 केस दर्ज किए हैं और आज सुबह तक 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन मामलों में सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा और उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जाएगा।”
60 से 90 दिन में चार्जशीट फाइल करना बड़ी चुनौती
डीजीपी ने कहा, बाल विवाह के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई काफी तेजी से जारी है। अब सबसे बड़ी चुनौती 60 से 90 दिनों की समय सीमा के भीतर चार्जशीट दाखिल करना है। 65 अभियुक्तों के जमानत हासिल करने पर डीजीपी ने कहा कि जमानत ठीक है। मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कितने समय तक जेल में रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें चार्जशीट किया जाए और उन्हें कानून का सामना करना पड़े। सिंह ने कहा कि ऑपरेशन के पीछे मूल विचार इस साल बाल विवाह को कम करना और दो-तीन साल के भीतर राज्य में इसे पूरी तरह से रोकना है। कानून के आधार पर मुद्दे को संबोधित करना एक बात है। यह भी एक प्रकार की जागृति है कि यह (बाल विवाह) बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘गिरफ्तारी अच्छी है और हम कानूनी कार्रवाई करेंगे, मूल विचार बाल विवाह को रोकना है। उत्पीड़न हमारा उद्देश्य नहीं है, हमारा उद्देश्य बाल विवाह को रोकना है।’
मुख्यमंत्री ने क्या कहा था?
इस मामले में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का भी बयान आ चुका है। उन्होंने कहा था कि यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। सरमा ने कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा था कि पिछले साल 6.2 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं में से लगभग 17 प्रतिशत राज्य में किशोर थीं। विपक्ष इसे बेवजह मुद्दा बना रहा है। राज्य कैबिनेट ने हाल ही में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO) के तहत बुक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। कैबिनेट ने फैसला किया था कि 14 से 18 साल की उम्र की लड़कियों की शादी करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे। अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा।