इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 08 अप्रैल 2023। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि भी लोगों के हितों की सेवा करने के लिए कानून में मानवता का स्पर्श होना चाहिए और समस्याओं की जड़ को दूर करने के लिए इसका हमेशा संवेदनशीलता के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए। गौहाटी उच्च न्यायालय के ‘प्लेटिनम जुबली’ समारोह को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून को उन समुदायों की वास्तविकताओं को ध्यान में रखना चाहिए, जिन पर इसे लागू करना होता है। उन्होंने कहा कि जब कानून की समझदारी से व्याख्या और क्रियान्वयन किया जाता है, तो लोगों का सामाजिक संरचना में विश्वास पैदा होता है और यह न्याय की दिशा में आगे की ओर एक कदम होता है।
उन्होंने कहा, न्यायपालिका की वैधता उस विश्वास और भरोसे में निहित है जो वह लोगों से प्राप्त करता है, जो बदले में न्यायिक स्वतंत्रता पर निर्भर करते हैं। न्यायपालिका में लोगों का विश्वास एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण कारक से निर्धारित होता है कि संकट और आवश्यकता में नागरिकों के लिए न्यायपालिका पहली और आखिरी पहुंच है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, कानून में मानवता का स्पर्श होना चाहिए … यह सुनिश्चित करने के लिए मानवीय स्पर्श आवश्यक है कि कानून सभी के हितों को पूरा करे। समानता और विविधता के लिए सहानुभूति और सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि कानून और इसका प्रशासन न्याय को बाधित न करें बल्कि इसे बनाए रखें।
उन्होंने कहा, देश के तीनों स्तंभ- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका राष्ट्र निर्माण के सामान्य कार्य में लगे हुए हैं। सर्वोपरि संवैधानिक राजनीति के लिए विचार-विमर्श और संवाद की आवश्यकता होती है, न कि सार्वजनिक भव्यता की। यह देखते हुए कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायपालिका से समाज के कमजोर वर्गों के लिए न्याय तक पहुंच के मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया था, सीजेआई ने कहा, उनके शब्दों ने देशभर में न्याय तक पहुंच को व्यापक बनाने के लिए कानूनी बिरादरी को प्रेरित किया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि गौहाटी उच्च न्यायालय भी उन चुनौतियों का सामना करता है जो इसके अधिकार क्षेत्र में न्याय प्रणाली को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा कि इसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई क्षेत्र बार-बार आने वाली बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से हर साल हजारों लोगों को विस्थापित हो रहे हैं और कई लोग अन्य संपत्ति के साथ अपने पहचान दस्तावेजों को खो देते हैं। उन्होंने कहा, इन आपदाओं के दौरान हाशिए पर रहने वाले और कमजोर समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियां न्याय तक पहुंच सहित सार्वजनिक सेवाओं तक उनकी पहुंच को बाधित करती हैं।