
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 16 मई 2025। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने आधुनिक युद्ध में ड्रोन के महत्व को साफ तौर पर सामने ला दिया है। ड्रोन, अंतरिक्ष और साइबरस्पेस भविष्य के सैन्य संघर्षों के लिए नए प्रतिमान होंगे। डोकलाम संकट की देखरेख करने वाले सैन्य अभियान के पूर्व महानिदेशक ने यह बात कही। गुरुवार को पीटीआई वीडियो के साथ एक साक्षात्कार में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कुमार भट्ट ने सोशल मीडिया पर कई युद्ध-प्रेमियों की ओर से दिए जा रहे सुझावों पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त की। ऐसे यूजर चार दिनों में संघर्ष समाप्त होने से नाखुश थे। उनका मानना था कि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को फिर से पाने का अवसर था। उन्होंने कहा कि युद्ध अंतिम विकल्प होना चाहिए। भारत के लिए जंग की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हमने अपने रणनीतिक लक्ष्य हासिल कर लिए हैं।
‘एक राष्ट्र तब इसके लिए तैयार होता है जब सभी संभावित विकल्प खत्म हो जाते हैं’
भट्ट 2017 में डीजीएमओ थे, जब भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सिक्किम सेक्टर के पास डोकलाम ट्राई-जंक्शन में चीन के साथ 73 दिनों तक सैन्य गतिरोध में उलझा रहा था। उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सभी साथी देशवासियों से यही कहूंगा कि युद्ध एक गंभीर मामला है। एक राष्ट्र तब इसके लिए तैयार होता है जब सभी संभावित विकल्प खत्म हो जाते हैं। मौजूदा संकट के दौरान हमारे पास विकल्प थे। हमने इसे समझदारी से चुना।’
हालिया संघर्ष में ड्रोन कितने महत्वपूर्ण थे?
यह पूछे जाने पर कि हालिया संघर्ष में ड्रोन कितने महत्वपूर्ण थे? उन्होंने कहा कि मानव रहित हवाई वाहनों ने युद्ध में एक बिल्कुल नया प्रतिमान बनाया है। दुनिया की सेनाओं ने इस पर तब ध्यान देना शुरू किया, जब उन्होंने अच्छी तरह से सशस्त्र आर्मेनिया के खिलाफ लगभग हार चुके युद्ध को जीतने में अजरबैजान के लिए शानदार सफलता हासिल की। ड्रोन तुर्किये निर्मित थे। तुर्किये ने पाकिस्तान को भी ड्रोन की आपूर्ति की, जिसने निगरानी और कभी-कभी घातक पेलोड के साथ भारतीय वायु क्षेत्र में ड्रोन के झुंड भेजे। भट्ट ने सहमति जताई कि दो लाख रुपये की लागत वाले सस्ते ड्रोन 2017 और 2020 में दो अजरबैजान-आर्मेनिया युद्धों में 20-30 करोड़ रुपये के बख्तरबंद टैंकों को नष्ट करने में सक्षम थे। इससे यह साफ हो गया कि भविष्य के युद्ध के मैदान ड्रोन से भरे होंगे।
‘भविष्य में हर देश को अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की रक्षा करनी होगी’
भट्ट ने कहा, ‘पहले हम कहते थे कि युद्ध जमीन, समुद्र और हवा में लड़े जाते हैं। अब दो नए क्षेत्र हैं- अंतरिक्ष और साइबर स्पेस। अंतरिक्ष क्षेत्र भविष्य के युद्ध के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपग्रह मिसाइलों और विमानों को उनके इच्छित लक्ष्यों तक पहुंचाने के अलावा खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी और टोही में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हर देश को अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की रक्षा करनी होगी और यह भी जानना होगा कि अंतरिक्ष में विरोधियों की संपत्ति क्या है।’
भारत ने एक नई लक्ष्मण रेखा खींची
भट्ट ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान को भारतीय धरती पर हर आतंकी साजिशों का कड़ा जवाब देने की चेतावनी देकर उससे निपटने के लिए एक नई लक्ष्मण रेखा खींची है। उन्होंने कहा, ‘हमने एक नया सामान्य स्थापित किया है- आप रेखा पार करेंगे, हम जवाबी हमला करेंगे। बेशक इसके लिए हमें अधिक तैयार रहने की आवश्यकता होगी। पाकिस्तान के लिए कोई और तरीका नहीं है। भट्ट ने कहा कि सिंधु जल संधि को स्थगित रखना एक बहुत ही प्रभावी तरीका रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरा तरीका यह है कि भारत पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखते हुए अपनी कहानी पर ध्यान केंद्रित करता रहे।
अटल बिहारी वाजपेयी को याद किया
भट्ट ने युद्ध पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बयानों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री वाजपेयी ने एक बार कहा था कि युद्ध शुरू करना बहुत आसान है। इसे समाप्त करना बहुत मुश्किल है। इससे बहुत स्पष्टता मिली। युद्ध में चुनौती युद्ध को रोकने की क्षमता होती है। दूसरी बात यह कि क्या आप अपने युद्ध के लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं और किस कीमत पर।’