इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 06 मई 2023। आतंकियों ने एक बार फिर सोची-समझी साजिश के तहत सैन्य जवानों पर हमला कर चकमा दे दिया। आतंकियों को सेना की ओर से उनके खिलाफ चलाए जाने वाले तलाशी अभियान की पहले से भनक लग गई थी। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों के पास सेना के ऑपरेशन की जानकारी पहुंचने की दो तरह की संभावनाएं हो सकती हैं। पहली यह कि आतंकियों के किसी मददगार ने सेना का जासूस बनकर दहशतगर्दों की मदद की है। दूसरी यह कि आतंकियों ने अपनी जानकारी किसी तरह से सेना तक पहुंचाई, ताकि सैन्य जवान उन तक पहुंचने का प्रयास करें। जब यह प्रयास हुआ तो आतंकियों ने प्लान बनाया और आईईडी लगाई, ताकि जब भी जवान उन तक पहुंचें, विस्फोट में उनकी जान जाए।
हालांकि सेना का दावा है कि मुठभेड़ के दौरान जवाबी कार्रवाई में आतंकियों ने कुछ विस्फोटक का इस्तेमाल किया है, जिसकी वजह से पांच जवान शहीद हुए। लेकिन सूत्रों का कहना है कि आतंकियों ने घात लगाकर धमाका किया है।
गुफाओं में छिपे आतंकियों का भेद फिर नहीं हुआ अभेद
आतंकियों के लिए मुफीद बनीं राजोरी-पुंछ की गुफाएं सेना और खुफिया एजेंसियों के लिए पहेली बन गई हैं। यूं कहा जाए कि पिछले 18 महीनों से इन गुफाओं के भेद को अभेद करने में तमाम सुरक्षा एजेंसियां असफल हो गई हैं। पिछले 18 महीनों में भाटादूड़िया के जंगलों में आतंकी आराम से गुफाओं में छिपकर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं, लेकिन एक भी आतंकी न तो मारा गया और न ही पकड़ा गया। 11 अक्तूबर 2021 से भाटादूड़िया में छिपे आतंकी अब तक भारतीय सेना के 19 जवानों को शदीद कर चुके हैं।
घात लगाकर हमला करना हो या फिर मुठभेड़। चार बार ऐसा हो चुका है, लेकिन एक भी आतंकी अब तक नहीं मारा गया। इससे साफ है कि आतंकियों को गुफाओं से बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिल रही। जबकि आतंकी हर बार सेना को एक बड़ा जख्म दे जाते हैं।
18 माह में छह हमले, 19 जवानों के साथ 28 की गई जान
बता दें कि 11 अक्तूबर, 2021 को भाटादूड़ियां के जलंग में छिपे आतंकियों ने सर्च कर रहे सेना के दल पर हमला कर दिया था। अब तक 18 महीने बीत जाने के बाद भी इन आतंकियों का पता नहीं चला है। 11 अक्तूबर से लेकर अब तक पुंछ और राजोरी में आतंकियों ने छह हमलों को अंजाम दिया है। इनमें 19 जवान शहीद हुए। नौ नागरिकों की जान गई, जबकि एक भी आतंकी नहीं मारा गया है।