
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 01 जुलाई 2023। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम के दौरान बड़ी बेबाकी से पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) को छोड़ने को लेकर भारत की गलती का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हमें पहले अपने रुख को साफ रखना चाहिए। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध सामान्य क्यों नहीं हो सकते हैं। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को एक बार फिर दो टूक जवाब देते कहा पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से आतंकवाद की नीति के रहते सामान्य संबंध होना संभव नहीं है।” जयशंकर पहले भी यूरोप समेत दुनिया के अन्य देशों के प्रति भारत का रवैये को स्पष्ट तौर पर सामने रख चुके हैं। जयशंकर का कहना है कि पहले हमें अपनी बात साफ तौर पर रखनी चाहिए।विदेश मंत्री ने कहा कि हमने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था। उन्होंने कहा कि चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर हमारा रुख कड़ा था।
उन्होंने कहा कि मैं कह सकता हूं कि इस देश में कई वर्ग थे जिन्होंने हम पर सवाल उठाया था। उन्होंने इस पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया था। भले ही वे आज इससे इनकार करें लेकिन ये रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने कहा कि कहां हम सही हैं, कहां हमारे हित हैं इस बारे में स्पष्टता रखनी होगी। पिछले 75 सालों में ऐसी गड़बड़ी हुई है। विदेश कहा कि विदेश मंत्री ने कहा कि हमने वास्तव में उन बुनियादी गलतियों को सुधार लिया है जो 1947 में हुई थीं। विदेश मंत्री ने कहा कि वो गलती जिसे सुधारने के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जीवन भर पुरजोर लड़ाई लड़ी। विदेश मंत्री ने कहा कि सच तो यह है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को छोड़कर हमने दो विरोधी देशों के बीच निकटता विकसित होने दी। उन्होंने कहा कि आज हमें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ संबंधों पर भी भारत का रुख साफ किया। विदेश में मंत्री ने कहा कि संबंधों में गिरावट आना हमारी देन नहीं है। यह चीन की तरफ से ही 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन करके पैदा की गई हैं। उन्होंने कहा कि यदि हमें एक सभ्य संबंध बनाना है तो उन्हें उन समझौतों का पालन करने की आवश्यकता है। जयशंकर ने कहा कि चीन को यह समझना होगा कि दो प्रमुख देशों के संबंध तभी काम करते हैं जब वे पारस्परिक हित, आपसी संवेदनशीलता और पारस्परिक सम्मान पर आधारित होते हैं। विदेश मंत्री से जब उनसे पूछा गया कि क्या दो एशियाई दिग्गजों के बीच कामकाजी संबंध हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “अंततः ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है और चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि अगर बेहतर कामकाजी संबंध बनाए रखना है तो चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा।