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नई दिल्ली 30 जुलाई 2023। आज हमारे हाथ में मौजूद फोन हो या फिर गाड़ियां, अंतरिक्ष में जाने वाले रॉकेट या लैपटॉप आदि सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल हो रहा है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री आज दुनिया की प्रमुख इंडस्ट्री बन गई है। यही वजह है कि दुनिया के कई देश इस क्षेत्र पर खासा फोकस कर रहे हैं। अब भारत ने भी इस दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित हो रही सेमीकॉन इंडिया कॉन्फ्रेंस 2023 भी इसी का हिस्सा है। रविवार को इस कॉन्फ्रेंस को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संबोधित किया।
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में भारत-अमेरिका में बढ़ रहा सहयोग
इस दौरान एस जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि ‘आज सेमीकंडक्टर के मुद्दे पर भारत काफी वैश्विक बातचीत कर रहा है। इनमें मार्च 2023 में अमेरिका और भारत के बीच सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन और अनुसंधान को लेकर एमओयू पर हस्ताक्षर होना अहम है। जून 2023 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था, उस वक्त भी राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच सेमीकंडक्टर मुद्दे पर काफी बातचीत हुई थी।’
एस जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच की साझेदारी अब कई अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ रही है और समय के साथ इसमें मजबूती आएगी। उदाहरण के लिए अंतरिक्ष में भारत ने आर्टेमिस अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए हैं और नासा और इसरो की साझेदारी भी मजबूत हो रही है। क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजी ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का अहम तत्व है। विदेश मंत्री ने कहा कि हमारी आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों में ये तकनीक बड़े बदलाव ला सकती है और किसी भी ताकतवर देश के लिए बेहद अहम साबित होगी। जयशंकर ने चिप वॉर का भी जिक्र किया।
खनिज सुरक्षा साझेदारी में भारत की एंट्री अहम
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘खनिज सुरक्षा साझेदारी में भारत की एंट्री बेहद अहम है। इससे सुरक्षित सप्लाई चेन के क्षेत्र में विविधता आएगी। भारत में 5जी की शुरुआत हो चुकी है और हमने इस मामले में गति पकड़नी शुरू कर दी है। इस बीच भारत में 6जी सेवाएं और अमेरिका में नेक्सजी अलायंस में सहयोग अहम साबित होगा।’
बता दें कि खनिज सुरक्षा साझेदारी में अमेरिका के नेतृत्व में 14 देश (ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, ब्रिटेन, यूरोपीय आयोग, इटली और अब भारत) सहयोगी हैं। इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अहम खनिजों की आपूर्ति श्रृंखलाओं में निवेश को बढ़ाना है। इस साझेदारी का मुख्य लक्ष्य महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति के लिए चीन पर निर्भरता कम करना है। बता दें कि महत्वपूर्ण खनिजों में कोबाल्ट, निकेल और लीथियम जैसे खनिज शामिल हैं। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों और बैटरियों के निर्माण में होता है।