‘जमीन का एक भी इंच नहीं देंगे, सेना की ढाल हैं हम’, चीन के खिलाफ गांव वासियों की टिप्पणी

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 16 दिसंबर 2023। भारत-चीन सीमा पर बसे प्रथम गांव काहो, किबिथू और मेशाई (जिला अंजॉ-अरुचणाल प्रदेश) के लोग चीन से नहीं डरते। यहां के लोगों का जज्बा और हौसला सातवें आसमान पर है। इन गांवों में किसी उम्र का रहने वाला हो सभी का यही कहना है, यह 1962 का भारत नहीं है। हर कोई दुश्मन देश से दो-दो हाथ करने को तैयार है। यहां के लोग कहते हैं, चीन को समझना चाहिए कि भले ही हमारा चेहरा चीन के लोगों के साथ मिलता हो, लेकिन हमें भारतीय होने पर गर्व है। अरुणाचल प्रदेश के इन गावों को वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत विकसित किया जा रहा है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इसी वर्ष, अप्रैल में किया था।

किबिथू गांव की रोइसांग कहती हैं मैं चीन की गलतफहमी दूर करना चाहती हूं कि भले ही हमारे चेहरे चीनी लोगों के साथ मिलते हैं, लेकिन हमको भारतीय होने पर गर्व है। वहीं काहो की ओबितो परतन कहती हैं, खिलाड़ियों को नहीं खेलने देने पर पूरे अरुणाचल प्रदेश के लोग चीन से गुस्से में हैं।

किस बात का डर, जवानों से आगे चलेंगे
प्रथम गांव काहो के बुजुर्ग खिती मियोर कहते हैं- किसी बात का डर। हमारी सेना हमारे साथ है। पहले हालात और थे और आज हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। अगर जरूरत पड़ी तो हम सेना के जवानों से आगे-आगे चलेंगे। हम सेना का गोला-बारूद लेकर आगे-आगे चलेंगे। चीन को समझ आ जाना चाहिए कि यह 1962 का भारत नहीं है। यह 21वीं सदी का भारत है। अगर उसके मन में किसी तरह की गलतफहमी है तो उसे दिल से निकाल देना चाहिए। अब चीन की हिम्मत नहीं की वह हमारी ओर आंख भी उठाकर देख ले।

ये 1962 का भारत नहीं
किबिथू में अजिस्पी कहती हैं, हमारे वीर सैनिकों ने न पहले कभी किसी को अपनी मातृभूमि के टुकड़े पर पैर जमाने दिए और न ही हम अपनी मातृभूमि का एक टुकड़ा किसी को लेने देंगे। यह बात चीन कान खोलकर सुन ले। चीन ने अगर हमें 1962 का भारत समझने की भूल की तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। हमें अपने सैनिकों पर गर्व है। हम बताना चाहते हैं कि यहां के लोग भारतीय सेना के साथ हैं, थे और हमेशा साथ रहेंगे। अगर किसी ने हमारी ओर आंख उठाने की हिमाकत की तो हम उसे, उसी की भाषा में सबक सिखाने के लिए तैयार हैं।

पूर्वजों का बलिदान बेकार नहीं जाएगा
मेशाई गांव के प्रेम कहते हैं, हमने सुना है कि 1962 में चीन ने हमारे ऊपर हमला कर दिया था। हमारे पूर्वजों ने अपने खून से सींचकर इस धरती को बचाया और चीनियों को यहां से भागने के लिए मजबूर कर दिया। हम अपने पूर्वजों के बलिदान को बेकार नहीं जाने देंगे।

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